बेंगलुरु छेड़छाड़ मामला: लड़कियों के पास डर और दहशत के अलावा कुछ नहीं
31 दिसंबर 2016 और 1 जनवरी 2017 की मध्यरात्रि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में जो हुआ वो शर्मनाक था।
बेंगलुरु। साल 2017 से एक दिन पहले हुई छेड़छाड़ को लेकर पीड़िता ने खुलकर अपना गुस्सा जाहिर किया है। पीड़िता ने पुलिस को भी खुलेआम हो रही लड़कियों से साथ छेड़छाड़ के मामलों में नाकाम माना है।न्यू ईयर का शाम बाइक पर सवार दो युवकों ने लड़की के साथ बेरहमी से जबरदस्ती कर उसे बुरी तरह धक्का देकर चंपत हो गए थे। पुलिस ने इस मामले के मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है। बता दें कि इस घटना से बुरी तरह से सहमी हुई वैष्णवी ने अपने शब्दों के जरिए समाज के उन दरिंदो को खरी खोटी कही है जिन्होंने लड़कियों के लिए खुलेआम दहशत फैला रखी है।
वैष्णवी
का
कहना
है
कि
आए
दिन
हम
लड़कियों
पर
हो
रहे
ऐसे
खतरनाक
हमले
किसी
जानलेवा
हमले
से
कम
नहीं
है।
वैष्णवी
का
यह
भी
कहना
है
कि
वह
आठ
साल
की
उम्र
से
खुद
पर
ही
आश्रित
है
और
अकेले
ही
अपनी
डांस
क्लास
और
देर
शाम
तक
शहर
की
गलियों
में
जाया
करती
थी।
लेकिन
अब
इस
शहर
में
लड़कियों
के
लिए
डर
और
भय
के
अलावा
कुछ
नहीं
बचा
है।
अपने
गुस्से
को
और
ज्यादा
जाहिर
करते
हुए
वैष्णवी
कहती
है
कि
बेंगलुरू
में
किशोरावस्था
में
लड़कियां
बिल्कुल
भी
सुरक्षित
नहीं
है।
अपनी
पुरानी
आपबीती
को
बताते
हुए
वैष्णवी
कहती
है
कि
उसके
साथ
ये
पहला
वाकया
नहीं
है
इससे
पहले
भी
वो
कई
बार
इस
दहशत
भरे
समाज
से
खुद
को
बचाती
आई
है।
आपको
बता
दें
कि
वैष्णवी
का
कहना
है
कि
अगर
वो
चाहती
तो
खुद
के
साथ
हुई
इन
सभी
छेड़छाड़
की
विरोध
कर
सकती
थी।लेकिन
वैष्णवी
इस
ओर
यह
कहती
है
कि
उनको
बचपन
से
मिली
स्वतंत्रता
ने
उन्हें
खुद
की
रक्षा
करना
सिखाया
है।
बता
दें
कि
वैष्णवी
ये
भी
मानती
है
कि
आपके
संकट
के
समय
में
मार्शल
आर्ट
और
स्थानीय
भाषा
किसी
काम
की
नहीं
होती
है।
दरअसल
वैष्णवी
मार्शल
आर्ट
जानती
हैं।
वैष्णवी
ने
इस
समाज
को
पुरुष
समाज
बताया
जहां
सिर्फ
पुरुषों
का
ही
बोलबाला
है।
वैष्णवी
ने
पुलिस
को
भी
लड़कियों
की
रक्षा
के
मामले
में
पंगु
माना
है।
वैष्णवी
ने
अनपी
बात
को
खत्म
करते
हुए
कहा
कि
समाज
से
इस
कुरीति
को
खत्म
करने
लिए
देश
में
लैंगिक
समानता
की
बात
कही
है।
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