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तिरंगे में लिपटा पहुंचा शव, पिता के अरमान पूरे करने बेटियां निकलीं स्कूल

By Rizwan
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नई दिल्ली। हमें पता है अब पिता जी दुनिया में नहीं रहे लेकिन पेपर देने तो जाना है। तभी तो हम पापा की तरह बनेंगे।

uri attack

उरी हमले में शहीद हुए बिहार के नायक सुनील कुमार विद्यार्थी की तीन बेटियों ने जो हौंसला दिखाया। उसे देख उनके अध्यापक और रिश्तेदारों की आंखों में भी आंसू आ गए।

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बिहार के गया के रहने वाले एस.के. विद्यार्थी रविवार को उरी में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है।

बड़ी बेटी आरती 14 साल की है, अंशु 12 और अंशिका की उम्र 7 साल है। बेटे की उम्र सिर्फ दो साल है। शहीद की तीनों बेटियां शहर के ही एक स्कूल में पढ़ती हैं।

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हमें अपने पापा की तरह बनना है

सोमवार की सुबह तक शहीद का शव घर नहीं पहुंचा था, घर पर रिश्तेदारों और शहरभर के लोगों की भीड़ थी। हर किसी की निगाह उस वक्त इन तीनों बहनों पर ठहर गई, जब सोमवार सुबह ड्रैस पहन तीनों परीक्षा देने को घर से निकल पड़ीं।

जब तीनों बहनों से पूछा कि क्या उन्हें पता है कि कुछ देर बाद उनके पिता का शव घर पर आएगा। इस पर इन बेटियों ने कहा कि हम जानते हैं कि अब पापा इस दुनिया में नहीं हैं वो हमें छोड़कर जा चुके हैं।

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इन बेटियों का कहना था कि पापा चाहते थे कि हम कुछ बनें, देश के लिए कुछ करें। हम अगर स्कूल ही नहीं जाएंगे तो पापा के जैसे कैसे बनेंगे।

बेटियों ने कहा कि स्कूल में एक्जाम चल रहे हैं, जिनके नंबर फाइनल रिजल्ट में जुड़ते हैं। ऐसे में हमें पेपर देने जाना ही चाहिए। मौजूद लोगों ने भी इन बहादुरों बेटियों के हौंसले को सलाम करते हुए कह कि जाओ बेटी पेपर देकर आओ।

प्रिंसिपल बोले, आगे की परीक्षाओं में मिलेगी छूट

स्कूल पहुंची इन तीनों बहनों के बारे में जब अध्यापकों को पता चला तो उनकी भी आंखों में आंसू आ गए। स्कूल के प्रिसिंपल को जब पता चला तो उन्होंने कहा कि ऐसी मानसिक स्थिति में बच्चियां ठीक से परीक्षा नहीं दे पाएंगी।

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स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि वो सीबीएसई को इस बाबत चिट्ठी लिखेंगे, जिससे इन बहनों को आने वाली परीक्षाओं को बाद में देने की छूट मिल

इन बहादुर बेटियों का कहना है कि उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है। आरती ने कहा कि वो गर्व से कहेंगी कि उनके पिता ने देश के लिए जान दे दी।

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English summary
Slain soldier SK Vidyarthi daughters went school after her father Martyrdom
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