हार्दिक के साथ BJP से सीधी लड़ाई में क्या शिवसेना को मिलेगा फायदा?
शिवसेना ने महाराष्ट्र की सरकार में साझीदार भाजपा से गुजरात और मुंबई महानगरपालिका के चुनाव में सीधी लड़ाई का मन बना लिया है। क्या शिवसेना को इसका लाभ मिलेगा?
नई दिल्ली। बृहद मुंबई नगरपालिका (BMC)के चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी और शिवेसना एक साथ नहीं लड़ रही है। बीते कई सालों से बीएमसी की गद्दी पर काबिज भाजपा और शिवसेना में सीटों पर बात पर नहीं बनी। यूं तो शिवसेना और भाजपा का अलगाव, महाराष्ट्र के बीते विधानसभा चुनाव में ही हो गया था।
अब हार्दिक पटेल को मिला शिवसेना का साथ
उस वक्त भी मुद्दा सीट ही था, हालांकि भाजपा की सीटें कम आने पर शिवसेना ने उन्हें सहारा दिया और फिर दोनों साझा सरकार बन गई। उस समय स्थिति सुधर गई थी लेकिन अब दोनों दलों के नेताओं की बयानबाजी से ऐसा लग रहा है कि अब स्थिति हाथ के बाहर निकल गई है।
दोनों दलों के नेता फिलहाल जुबानी तीर चला रहे हैं। मंगलवार को बड़ा उलट फेर उस वक्त सामने आया जब गुजरात में भाजपा के धुर विरोधी और पटेल आरक्षण आंदोलन की अगुवा हार्दिक पटेल को शिवसेना ने राज्य में अपना चेहरा बना दिया।
भाजपा को मिल रही थीं 60 सीटें
इस दौरान खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे। यह बात दीगर है कि मुंबई में बड़ी संख्या में गुजरात के लोग रहते हैं, ऐसे में शिवसेना का यह दांव उसक लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। बता दें कि हार्दिक इन दिनों मुंबई में शिवसेना के रैलियां भी कर रहे हैं। इससे भाजपा को नुकसान होने के आसार हैं।
गौरतलब है कि मुंबई महानगरपालिका में चुनाव लड़ने के लिए शिवसेना ने भाजपा को 60 सीटों पर लड़ने के लिए कहा था जबकि भाजपा कुल 227 में से 114 सीटें चाहती थी। 2010 के दौरान बीएमसी चुनावों में शिवसेना ने 75 और भाजपा 31 सीटें हासिल की थीं।
गुजराती उम्मीदवारों का प्रचार कर रहे हैं हार्दिक
शिवसेना ने बीएमसी चुनाव के लिए 11 गुजराती उम्मीदवारों की घोषणा भी की है। संभावना इस बात की भी जताई जा रही है कि अगर यह विवाद नहीं थमा तो शिवसेना, राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले सकती है जिसके बाद महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में अल्पमत में आ जाएगी।
बीते महीने 17 जनवरी को गुजरात लौटे हार्दिक पटेल कई मायने मे भाजपा के लिए नुकसान दायक साबित होंगे। बीएमसी चुनाव के साथ-साथ हार्दिक,इसी साल के आखिर में गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भी भाजपा के राह का कांटा बन सकते हैं।
यूं मशहूर हुए हार्दिक
सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए पाटीदार आंदोलन खड़ा करने वाले हार्दिक, पहले भी गुजरात में भाजपा का सूपड़ा साफ करने का दावा कर चुके हैं। हालांकि आंदोलन के बाद उस समय आनंदीबेन पटेल की सरकार ने अगड़ी जातियों को 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान किया।
साथ ही बता दें कि गुजरात हाईकोर्ट से देशद्रोह के मामले में हार्दिक को 8 जुलाई, 2016 को जमानत मिली थी। साथ ही हालांकि जमानत के 6 माह बाद भी उन्हें गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया गया था। जिसके बाद हार्दिक राजस्थान में थे।
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