'अगर सेक्स वर्कर से जबरदस्ती नहीं तो वेश्यावृत्ति अपराध नहीं'
हाईकोर्ट विनोद पटेल की ओर से दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिन पर आरोप है कि वो 3 जनवरी को कथित तौर पर एक वेश्यालय में गए थे।
अहमदाबाद (गुजरात)। गुजरात हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि वेश्यावृत्ति तब तक अपराध नहीं जब तक सेक्स वर्कर के साथ कोई जबरदस्ती नहीं की जाती है। अगर उसे जबरन उस मामले में धकेला जाता है तो ये अपराध की श्रेणी में आता है।
गुजरात हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
अहमदाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 370 के प्रावधानों की व्याख्या करते हुए करते हुए कहा कि इस धारा के तहत शारीरिक शोषण या फिर यौन उत्पीड़न के मामले आते हैं।
कोर्ट ने की धारा 370 के प्रावधानों की व्याख्या
अहमदाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि निर्भया रेप केस के बाद केंद्र सरकार ने धारा 370 को और भी सख्त बनाया था। इसमें कोर्ट की ओर से कहा गया था कि अगर कोई सेक्स वर्कर है तो उसे भी इस धारा के तहत सुरक्षा मिली हुई है। अगर सेक्स वर्कर के साथ ग्राहक कोई जबरदस्ती करता है तो उसे भी अपराधी के तौर पर देखा जाएगा। हालांकि अगर उनके बीच जबरदस्ती नहीं की गई है तो उन पर ये मामला नहीं बनता है।
विनोद पटेल ने दायर की थी याचिका
गुजरात हाईकोर्ट विनोद पटेल की ओर से दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिन पर आरोप है कि वो 3 जनवरी को कथित तौर पर एक वेश्यालय में गए थे। वहां अचानक ही पुलिस की छापेमारी में पांच लोगों समेत उन्हें पकड़ा गया।
याचिकाकर्ता की गुहार पर कोर्ट ने सुनाया फैसला
विनोद पटेल के खिलाफ आईपीसी की धारा 370 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसी मामले में विनोद पटेल हाईकोर्ट पहुंचे। उन्होंने कोर्ट में कहा कि उन्हें किसी सेक्स वर्कर के साथ नहीं पकड़ा गया, वो किसी के साथ नहीं थे और बाहर बैठे हुए थे। उनकी ओर से पक्ष रखने के बाद कोर्ट ने साफ कर दिया कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है।
विनोद पटेल के खिलाफ मामले को कोर्ट ने किया खारिज
कोर्ट का इस मामले में तर्क था कि वो किसी सेक्स वर्कर के साथ जबरदस्ती शामिल नहीं थे। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 370 के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें शारीरिक शोषण या फिर यौन उत्पीड़न के मामले आते हैं। इस तरह से विनोद पटेल के खिलाफ मामले को खारिज कर दिया गया।
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