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मां-बाप की हुई एड्स से मौत तो बच्चों को निकाला गांव से, कब्रिस्तान में रहने को मजबूर

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लखनऊ। उत्तर पदेश की अखिलेश सरकार एक तरफ तो बच्चों के भविष्य संवारने का दावा करते हुए उन्हें फ्री लैपटॉप और टैबलेट बांट रही है ताकि वो दुनिया की रफ्तार के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके तो वहीं दूसरी ओर उन्ही के राज्य में 5 एड्स पीड़ित बच्चे जीते-जी कब्रिस्तान में रहने को मजबूर है और उनकी सूध तक लेने वाले कोई नहीं है। क्या अखिलेश यादव के लिए इन बच्चों का भविष्य मायने नहीं रखता या फिर मीडिया की नजर खींचने के लिए फ्री के लैपटॉप के जरिए वो अपना और अपने राज्य का पोजिटीव इमेज बनाकर अपनी गलतियों को छुपाना चाहते है।

लखनऊ से मजह 35 किमी की दूरी पर पतापगढ़ के मांधाता के जमुआ गांव में एक दंपति की एड्स से मौत के बाद परिजनों ने उनके पांच बच्चों को इस डर से घर से निकाल दिया कि कहीं उनको भी एड्स न हो जाए। गांव से निकाले जाने के बाद इन बेसहारा बच्चों के पास जब कोई आसरा नहीं बचा तो अनाथ बच्चों ने गांव के कब्रिस्तान में डेरा डाल दिया। तकरीबन दो महीनों से ये बच्चे इसी हालात में दिन काटते रहे।

5 children have been living besides their parents’graves

श्मशान में अपने मां-बाप के कब के पास ये बच्चे प्लास्टिक के टेंट में रहने को मजबूर है। गांव का कोई खाने में कुछ दे देता है तो खा लेते है वरना इन्हें भूखे ही सोना पड़ता है। इनका हाल-चाल पूछने तक कोई नहीं आता। ना तो घरवालों ने मदद की और ना ही प्रशासन मदद करने आगे आया।

दरअसल गांव के वहाजुद्दीन की 3 साल पहले एड्स की वजह से मौत हो गई। इस साल उसकी पत्नी आशिया भी चल बसी। इसके बाद वहाजुद्दीन के 5 बच्चों को उनके परिजनों ने इस आशंका में बाहर निकाल दिया कि कहीं उन्हें भी एड्स न हो। गांव वालों ने भी उनकी मदद नहीं की। अंत में उन्हें गांव के कब्रिस्तान में जगह मिली।जब ये खबर मीडिया के सामने आई तो प्रशासन ने भी मदद को हाथ बढ़ाया और बच्चों को आवास और भरण पोषण के लिए वित्तिय सहायता करने का आश्वासन दिया।

डीएम विद्याभूषण के आदेश के बाद पर बच्चों को आवास के लिए डेढ़ बिस्वा भूमि का पट्टा दिया गया। लोहिया आवास की संस्तुति की गई। इसके अलावा बड़े लड़के रिजवान के नाम अंत्योदय कार्ड बनाया गया। ताकि वो अपना पेट भर सके। वहीं एड्स पीड़ित के लिए काम करने वाली संस्था पीएनपी प्लस ने भी गांव पहुंचकर इन बच्चों से मुलाकात की। बच्चों का एचआइवी परीक्षण कराया गया। जांच में किसी को भी एचआइवी की पुष्टि नहीं हुई। इतना सब हो जाने के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से भी पांचों बच्चों को एक-एक लाख रुपये और दो बच्चों का दाखिला कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में कराये जाने की घोषणा की है।

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English summary
5 children aged between 7 and 17 have been living in a cemetery besides their parents’graves in uttar pradesh. They were driven out of their homes because there parents succumbed to AIDS.
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