उत्तराखंड पर फिर मंडरा रहा है तबाही का खतरा, हाई अलर्ट जारी
देहरादून। उत्तराखंड में मची तबाही से लोग अभी पूरी तरह उबर भी नहीं पाए है कि एक नए खतरे की आहट शुरु हो गयी है। तबाही से पूरी तरह बर्बाद हो चुका उत्तराखंड अब धीरे- धीरे इस त्रासदी से उबरने लगा था कि एक नयी मुसिबतें ने यहां दस्तक दे दी है।
जी हां उत्तराखंड में एक और त्रासदी होने का खतरा मंडरा रहा है। इस बार बारी बद्रीनाथ की है। दरअसल, बद्रीनाथ धाम के पास ग्लेशियर पिघलने से बहुत बड़ी झील बन गयी है। इस झील में पानी के बढ़ते स्तर के बाद यहां केदारनाथ से भी बड़ी तबाही का खतरा मंडराने लगा है।
बद्रीनाथ धाम से महज 8 किलोमीटर दूर बनी इस झील अब लोगों के लिए आफद बन गई है। इस झील में अगर पानी का स्तर इसी तरह से बढ़ता रहा तो ना केवल बद्रीनाथ में बल्कि झील की वजह से जोशीमठ और कर्णप्रयाग को भी खतरा पैदा हो
गया है। इस खतरे की आहट को भांपते हुए चमोली जिला प्रशासन ने इलाके में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। बड़ी अनहोनी को रोकने के लिए इलाके को खाली कराया जा रहा है। बद्रीनाथ, जोशीमठ, चमोली, कर्ण प्रयाग से लोगों को निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है।
ये झील भागीरथ खड़क और सतोपंत ग्लेशियर के बीच बनी है। जिसकी वजह से अलकनंदा नदी का 2553 वर्ग मीटर का क्षेत्र बाधित हो गया है। ऐसे में अगर ये झील टूटती है तो बद्रीनाथ से हरिद्वार तक बड़ी तबाही मच सकती है। जो इलाके इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे उनमें बद्रीनाथ, पांडुकेश्वर, गोविंदघाट, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार में तबाही मच सकती है। पहले ही भारी तबाही की मार झेल चुका उत्तराखंड प्रशासन इस बार कोई गलती नहीं करना चाहती है। कुदरत की तबाही से जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए प्रशासन पहले से तैयार हो चुका है।