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टीवी पर शर्मनाक विज्ञापन- काले लोगों की औकात गिरी हुई बतायी

By Ajay Mohan
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बेंगलुरु (अजय मोहन)। रात को 12 बजे के बाद या सुबह तड़के टीवी ऑन करिये तो कई चैनलों पर आपको एक विज्ञापन जरूर दिखाई देगा, जिसमें कुछ लोग गोरे होने की क्रीम का प्रचार करते दिखेंगे। यह विज्ञापन है फेयर लुक क्रीम का, जो लगातार काले लोगों के खिलाफ नस्‍लवादी टिप्‍पणी कर रहा है। यही नहीं, यह विज्ञापन काले लोगों की औकात भी गिरी हुई दर्शाता है।

काले-गोरे में भेदभाव को बढ़ावा देने वाले इस विज्ञापन में सबसे पहले एक महिला आती है और कहती है 'मेरे रंग की वजह से मेरे पति मेरी ओर ज्‍यादा अट्रैक्‍ट नहीं होते थे, जब से फेयर ग्‍लो लगायी, और गोरी हुई, तो अजब स निखार आया। अब तो वो दोबारा हनीमून पर चलने की जिद करते हैं।' इसी के बाद एक युवती और युवक आते हैं, जो अपनी-अपनी दास्‍तां बयां करते हैं और कहते हैं कि काले होने की वजह से उन्‍हें कोई इंपॉर्टेन्‍स नहीं मिलती थी, क्रीम लगाने के बाद से सब उन्‍हें महत्‍व देने लगे।

Fair Look

यहां तक फिर भी बर्दाश्‍त करने वाला था, लेकिन अब जो विज्ञापन में दिखाया गया, वो तो शर्मनाक है। विज्ञापन में एक काला आदमी, अपने जूनियर (जो गोरा है), एक ऑफिस के अंदर जा रहा है, तभी सिक्‍योरिटी गार्ड उसे रोक देता है, और कहता है यह ड्राईवर कहां घुसा आ रहा है। जूनियर कहता है, ये मेरे बॉस हैं। तब वो जाने देता है। पीछे से गार्ड कमेंट करता है, दिखने में तो चपरासी लगता है....।

क्‍या कहता है संविधान

अगर भारतीय संविधान की बात करें तो अनुच्‍छेद 15 के अनुसार किसी भी व्‍यक्ति के बीच लिंग, रंग, जाति, धर्म आदि को लेकर भेद करना स‍ंविधान के खिलाफ है। वहीं अनुच्‍छेद 21 कहता है ओहदा चाहे कोई भी हो, व्‍यक्ति का कार्य चाहे कुछ भी हो, उसे गरिमा पूर्ण जीवन जीने का पूरा अधिकार है। ऊंचे या नीचे ओहदे के आधार पर किसी व्‍यक्ति के साथ भेद-भाव नहीं किया जाना चाहिये।

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विरोध दर्ज करने के लिये Share/Tweet करें, ताकि बुलंद हो विज्ञापन के खिलाफ आपकी आवाज़

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

इस पर हमने इंदिरा गांधी ओपेन यूनिवर्सिटी के काउंसिलर व लखनऊ के श्री जयनारायण पीजी कॉलेज के शिक्षक डा. आलोक चांटिया से बात की, तो उन्‍होंने कहा कि यह विज्ञापन सीधे-सीधे कानून तोड़ रहा है। डा. चांटिया ने समाजशास्‍त्री प्‍याज़े के सिद्धांत का जिक्र करते हुए कहा कि जो आंखें देख लेती हैं और समझती हैं, उसी के प्रति व्‍यक्ति आकर्षित होता है। लिहाजा ऐसे विज्ञापन समाज में जहर घोलने का काम कर रहे हैं।

डा. चांटिया ने कहा पहला विज्ञापन जिसमें चपरासी को निरीह बताया जा रहा है, वह अनुच्‍छेद 21 का उल्‍लंघन करता है, दूसरी बात काले रंग के आधार पर भेद अनुच्‍छेद 15 का। यही नहीं यह विज्ञापन महिला को उपभोग की वस्‍तु के आधार पर दर्शा रहा है और कह रहा है, कि जब तक महिला दिखने में खूबसूरत है, तभी तक उसका पति उसकी वैल्‍यू समझेगा। यानी सीधे-सीधे महिला के शरीर की ओर आकर्षण बढ़ाने का काम किया जा रहा है।

लखनऊ के शिया पीजी कॉलेज के पत्रकारिता विभाग के शिक्षक डा. तरुण कांत त्रिपाठी का कहना है कि ऐसे विज्ञापन पर तत्‍काल रोक लगायी जानी चाहिये। बल्कि सरकार तो बाद में प्रतिक्रिया करेगी, पहले तो टीवी चैनलों को ऐसे विज्ञापन दिखाने बंद करने चाहिये, क्‍योंकि उनकी भी समाज के प्रति नैतिक जिम्‍मेदारी बनती है।

Comments
English summary
Most shocking commercial add runs every day on various TV channels in which a fairness cream Fair Look racist comments against black people.
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