आरुषि हत्याकांड: बेकसूर नेपाली नौकरों को मिले मुआवजा
लखनऊ। आम आदमी पार्टी की सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकूर ने आज इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर की है। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सीबीआई को देश के सबसे चर्चित मर्डर मिस्ट्री आरुषि हत्याकांड में तीन गरीब और असहाय नेपाली लोगों कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को सीबीआई द्वारा अवांछनीय तेजी दिखाते हुए गिरफ्तार करने की जांच कराये जाने की मांग की है। इसके अलावा नूतन ठाकूर ने इन तीनों के अकारण गिरफ्तारी हेतु पर्याप्त मुआवजा दिये जाने और जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों की आपराधिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी तय किये जाने की भी गंजारिश की है।
नूतन ठाकूर ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है कि ''मैंने आज इलाहाबाद हाई कोर्ट, लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सीबीआई को आरुषि कांड में तीन गरीब और असहाय नेपाली लोगों, कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को सीबीआई द्वारा अवांछनीय तेजी दिखाते हुए गिरफ्तार करने की जांच कराये जाने की मांग की है। साथ ही इन तीनों की अकारण गिरफ़्तारी हेतु पर्याप्त मुआवजा दिये जाने और जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों की आपराधिक और प्रशासनिक जिम्मेदारी तय किये जाने की भी प्रार्थना की है।
29 दिसंबर 2010 की अपनी समापन आख्या में सीबीआई ने स्वयं इन तीनों लोगों को पूरी तरह दोषमुक्त कर दिया था और 18 कारण गिनाते हुए कहा था कि 'यह बात पूरी तरह स्थापित हो गयी है कि ये तीनों नौकरों ने यह अपराध नहीं किया है'। सवाल यह है कि जब सीबीआई तमाम मामलों में अंत-अंत तक गिरफ़्तारी नहीं करती है तो आरुषि कांड में जब पहले से राजेश तलवार जेल में थे तो उनकी तरफ से ध्यान हटा कर इन तीन गरीब लोगों को बिना पुख्ता साक्ष्य के इतनी हड़बड़ी में गिरफ्तार करने की क्या जरूरत थी? इसीलिए क्योंकि किसी को बचाना था और इनका आगे-पीछे कोई नहीं था?''