भारत-चीन युद्ध, एक थोपी गई लड़ाई
इस थोपी गई लड़ाई में भारत के 1383 सैनिक शहीद हुए, 1047 घायल हुए और 1696 सैनिक लापता हो गये। इसके अलावा 3968 सैनिकों को चीन ने बंदी बना लिया था। भारत ने इस युद्ध में वायुसेना का प्रयोग नहीं किया। जिसके कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की निंदा भी होती है। इस युद्ध में जहां भारत को जानमाल की गहरी क्षति हुई वहीं चीन के कुल 722 सैनिक मारे गये 1697 घायल हुए। इस युद्ध में चीन ने भारत के 38000 किलोमीटर के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
भारत- चीन सम्बंध 2012
युद्ध के पचास साल गुजर जाने के बाद भी भारत और चीन के संबंधों में विश्वास की कमी है। चीन जम्मू कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानता है और वहां के नागरिकों को अलग से वीजा जारी करता है। चीन ने कई बार भारत के अरूणाचल प्रदेश पर भी अपना दावा पेश किया है।
व्यापारिक संबंध
दोनों देशों के बीच आज द्विपक्षीय व्यापार 70 अरब डॉलर का है, जिसके 2015 तक 100 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। भारत, चीन के लिए व्यापारिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है।
भारत की वर्तमान शक्ति
देश के रक्षामंत्री ए.के. एंटिनी के अनुसार अब हम पहले से ज्यादा मजबूत हैं और हमारी सेनाओं के पास पहले से ज्यादा हथियार हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों ही देश अब परमाणु शक्ति सम्पन्न हैं अत: अब युद्ध की सम्भावना कम है। हालांकि चीन, भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका, पाकिस्तान और नेपाल में लगातार अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है।