यूपीए के लिये कल नहीं होगा ब्लैक फ्राइडे
मंगलवार की रात ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया कि तृणमूल कांग्रेस के सभी मंत्री केंद्र सरकार से शुक्रवार को इस्तीफा दे देंगे। इसी ऐलान के साथ टीवी चैनलों पर सुर्खियां चलने लगीं कि यूपीए सरकार संकट में... गिर सकती है यूपीए सरकार... आदि। लेकिन सच पूछिए तो ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि ममता बनर्जी ने मंत्रियों से इस्तीफा देने के लिये कहा है, न कि यूपीए से समर्थन वापस लिया है। ममता का बाहर से समर्थन अभी भी जारी रहेगा।
बाहर से क्यों समर्थन देंगी ममता ?
यह ममता की मजबूरी मात्र है, जिस वजह से वो यूपीए से पूरी तरह नाता नहीं तोड़ सकती हैं। चूंकि पश्चिम बंगाल के विकास पर तृणमूल कांग्रेस की साख टिकी हुई है और बिना केंद्रीय सहायता के किसी भी राज्य का विकास संभव नहीं है, लिहाजा ममता यूपीए से पूरी तरह नाता तोड़ ही नहीं सकती हैं।
तो कैबिनेट के फैसले का विरोध क्यों?
ममता को इस समय सिर्फ पश्चिम बंगाल का वोटबैंक दिखाई दे रहा है। चूंकि राज्य में उनकी सरकार है और केंद्र में उनका समर्थन, लिहाजा केंद्र की कोई भी गलत नीति राज्य में उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है। यही कारण है कि डीजल, रसोई गैस के दाम से लेकर एफडीआई तक हर चीज़ का ममता विरोध कर रही हैं। ऐसी ही स्थिति कुछ मुलायम सिंह यादव की भी है।
क्या सपा सरकार में शामिल होना चाहेगी?
जवाब है हां। क्योंकि यूपीए सरकार ने उत्तर प्रदेश को 2000 करोड़ का पैकेज देकर यूपी की सपा सरकार को कर्ज तले दबा दिया है। चूंकि अभी एक भी पैसा रिलीज़ नहीं हुआ है, इसलिये मुलायम यूपीए से नाता तोड़ ही नहीं सकते हैं। मुलायम चाहे केंद्र की कितनी ही बुराईयां क्यों न करें, वो नाता नहीं तोड़ेंगे।
मध्यावधि चुनाव होंगे?
चाहे भाजपा हो या सपा और या फिर कांग्रेस, तीनों में से कोई भी चुनाव के लिये अभी पूरी तरह तैयार नहीं है। लिहाजा कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि सरकार गिरे और चुनाव हों, वहीं मुलायम सिंह तब तक ऐसा नहीं चाहेंगे, जब तक उत्तर प्रदेश में उनकी लोकसभा सीटों पर सारी तैयारियां पूरी नहीं हो जाती हैं। रही बात भाजपा की, तो उसे इस बात का गुमान है कि जनता के पास कोई विकल्प नहीं है, लिहाजा यूपीए से त्रस्त जनता राजग को ही वोट देगी। लेकिन भाजपा के कई बुद्धिजीवी नेता बात की गहराई को समझते हैं, इसीलिये वो अभी चुनाव नहीं चाहते हैं। वे जानते हैं कि अगर चुनाव अभी हो गये, तो तीसरा मोर्चा खड़ा हो सकता है।
इन सभी समीकरणों को देखते हुए यह लगभग तय है कि शुक्रवार को तृणमूल के मंत्री जैसे ही इस्तीफे देंगे, वैसे ही कांग्रेस पार्टी जोड़-तोड़ करके उन पदों को भर देगी। वहीं भाजपा अविश्वास प्रस्ताव ले भी आती है, तो भी मुलायम की बदौलत यूपीए बहुमत सिद्ध कर देगी।