जीवन के कुछ पाठ जरूर सिखाएं अपनी बेटी को
लाइफ के कुछ प्वांइट ऐसे होते है जो पिता ही अपनी बेटी को समझा सकते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें खुद कूल, खुली विचारधारा वाला और धैर्यवान होना जरूरी है वरना आपकी कही हुई अच्छी बात भी आपकी बेटी को समझ नहीं आएंगी और आप दोनों के बीच खटास पैदा होगी।
फैमिली इज ऑल
अपनी बेटी को बचपन से ही बताएं कि जीवन में परिवार और घर के प्यार का क्या महत्व होता है। जैसे - जैसे उनकी उम्र बढ़े उन्हे अपने जीवन के कड़वे अनुभवों के बारे में बताएं ताकि आगे चलकर वह ऐसी गल्तियां न कर सकें। परिवार के लोगों को बेटी के सामने सम्मान और प्यार दें क्योंकि अगर आप खुद सम्मान नहीं करेंगे तो बेटी ताउम्र उन्हें अपना नहीं बना पांएगी। बेटी को उसकी मां के बारे में हमेशा प्लस प्वांइट ही बताएं ताकि वह आपका और अपनी मां का आदर करे।
वो जैसी है अच्छी है
अपनी बिटिया रानी को हमेशा जताएं कि वो जैसी है उनके लिए दुनिया की सबसे प्यारी बेटी है। शारीरिक सुंदरता से ज्यादा मन ही सुंदरता का महत्व बताएं। उदाहरण के लिए ओपरा विनफ्रे और मिशेल ओबामा जैसी महिलाओं के बारे में बताएं। उन्हे समझाएं कि अगर उन्हे कोई बदलना चाहें और फिर प्यार या दोस्ती करे तो वह इसांन केवल उसका यूज कर रहा है। छोटी बच्चियों के सामने मुस्करा कर उनके स्टाइल की तारीफ करें और जताएं कि वह हमेशा की तरह बहुत प्यारी दिख रही है।
वह किसी से कम नहीं
अपनी बेटी को हमेशा मोटिवेट करे और उसे बताएं कि वह कैसे सफल हो सकती है। अपरिपक्व बच्ची को कभी यह न कहें कि ऐसा काम भी तो बच्चे ही करते है या वो भी तो लड़की ही है। इन शब्दों से बच्चों को नफरत होती है। बेटी को हमेशा सफलता के लिए सही रास्तों का चुनाव करने के लिए प्रेरित करे उन्हे उनके एक्स फैक्टर के बारे में बताएं क्योकि लड़कियां इमोशनल होती है और घबराहट में अक्सर अपने प्लस प्वांइट भूल जाती हैं।
न कहना सिखाएं
आज के चालाक युग में अपनी बेटी की तेजतर्रार बनाएं। उसे न कहना सिखाएं ताकि कोई भी उसका गलत इस्तेमाल न कर सके। कभी - कभी पिता अपनी धौंस से बच्चियों को इतना सीधा और उल्लू किस्म का बना देते है कि वह किसी के सामने अपनी बात हो स्पष्ट तरीके से कह नहीं पाती है और लोग उनसे अपने काम करवाते है। लाइफ का यह चैप्टर शायद बचपन में काम न आएं लेकिन प्रोफेशनल लाइफ में इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है।
सही और गलत की पहचान करने दें
बेटी को सही और गलत ही पहचान करने में मदद करे। उससे उसके दोस्तों के नेचर के बारे में जाने और अपनी राय दे। ध्यान रहें, इस जमाने के बच्चों को खासकर लड़कियों को यह बात बिल्कुल नहीं भाती कि उनके पर्सनल स्पेस में कोई दखलंदाजी करे फिर चाहे वो उनके फादर ही क्यूं न हो। बचपन से ही बेटी की राय जाने और छोटे - छोटे निर्णय उसे खुद लेने दे। ताकि वह डिसीजन मेकिंग पर्सन बन सके। सही और गलत की पहचान करने के लिए उनका समय - समय पर ठोकर खाना भी जरूरी है आप उन्हे हर समय प्रोटेक्ट न करे बल्कि लोगों को समझने का मौका अपनी देखरेख में करने दे।