अब सैनिक नहीं बनेंगे चाकर
अब तक सेना में बड़े अधिकारियों के घर पर सहायक तैनात रहते हैं जो अधिकारी के घर के सभी काम करते रहते हैं। इन्हें आम तौर पर भैया कहा जाता है। हालांकि इनकी हैसियत खराब नहीं होती। लेकिन यह कुलमिलाकर यह ब्रिटिश राज का प्रतीक है यों कहे गुलामी का भी प्रतीक है।
सेना ने रक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है। इस पर मंत्रालय ने हामी भर दी है। यहां बता दें सेना में फिलहाल इनकी संख्या 30 हजार से भी ज्यादा है। सेना चाहती है कि इनकी जगह सीविलियन की तैनाती की जाए। गौरतलब है शिमला स्थित सेना के ट्रेनिंग कमांड ने इस पर व्यापाक शोध के बाद रिपोर्ट तैयार की है। इसमें बाकी दुनिया में सेना की व्यवस्था को ध्यान में रख कर यह बदलाव किया गया है।
सेना का मानना है कि यह सैनिकों का दुर्पयोग है। सैनिक ट्रेनिंग के बाद घर का काम करें, यह जायज नहीं है। रक्षा मंत्री एंटनी भी इस व्यवस्था को जारी रखने के खिलाफ हैं। सहायक की जगह आम लोगों की भर्ती पर सेना पर करीब 200 करोड़ रुपये सलाना खर्च का भार आएगा। सेना ने तय किया है कि सभी अधिकारियों को सहायक की सुविधा दी जाएगी । फिलहाल सेना में 1510 फ्लैग अधिकारी है। इनमें ब्रिगेडियर या इससे ऊपर के अधिकारी शामिल हैं। साथ ही तय किया गया है अधिकारी बिग्रेडियर से नीचे अधिकारियों को भी यह सुविधा मिलती रहेगी। लेकिन अब युद्ध क्षेत्र में तैनात अधिकारियों को यह सुविधा नहीं मिलेगी।