बंटी-बबली जैसा कारनामा- 5 करोड़ में बेचा गंगा घाट
प्रशासन को होश उस वक्त आया जब नगर निगम ने घाट पर दखल बढ़ाते हुए दस्तावेजों में फेरबदल करना शुरू किया। पुराजारियां व महंतों में घाटे के सौदे को लेकर बेचैनी है और वह इसके घाट के पूर्व ट्रस्टी व प्रशासन को दोषी मान रहे हैं।
हरिद्वार हर की पौड़ी जहां हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग पिण्ड दान करने पहुंचते हैं। उस पर भू-माफियाओं की नजर पड़ गयी है। कुशावर्त घाट के नाम से मशहूर इस घाट का सौदा वर्ष 2009 में किया गया। जानकारी के मुताबिक इस घाट की देखभाल का जिम्मा खासगी देवी अहिल्याबाई होलकर चैरिटीज ट्रस्ट के पास है।
वर्ष 2009 में ट्रस्ट के सचिव करमजीत सिंह राठौर ने ट्रस्टी सतीश चंद्र मल्होत्रा को दस्तावेजी काम काज के लिए पॉवर ऑफ अटॉर्नी सौंप दी थी। सूत्रों के अनुसार साल 2009 में मल्होत्रा ने पॉवर ऑफ अटॉर्नी के बलबूते कुशावर्त घाट के 13,370 वर्गफीट हिस्से का सौदा निकिता पति राधवेंद्र सिखौला के साथ कर लिया। यह सौदा पांच करोड़ रुपए में किया गया।
सौदे के वक्त दोनों पक्षों में से किसी भी कुछ नहीं कहा और न ही घाट के काम काज में किसी प्रकार का हस्तक्षेप या रोकटोक ही की गयी। कुछ दिन पहले जब नगर निगम में हलचल बढऩे से मामला प्रकाश में आया। जब लोगों ने पूछताछ शुरू की तो पता चला कि घाट बिक चुका है। घाट बिकने की बात जंगल में आग की तरह फैली और लोगों ने इसकी सूचना प्रशासन को दी अब प्रशासन जांच की बात कर रहा है।