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ममता के राज में किताबों से भी गायब होगा मार्क्सवाद

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mamata benerjee
कोलकाता। वामपंथी और कट्टरवादी मुसलिम देश अपने मुताबिक पाठ्यक्रम तय करने के लिए बदनाम रहे हैं अब ममता बनर्जी उसी राह पर चल पड़ी हैं। बंगाल के बच्चों को अब मार्क्स और रुसी क्रांति के बारे में कुछ नहीं पढ़ाया जाएगा। जो नया पाठ्यक्रम तय किया गया है उसमें मार्क्स गायब हैं। यह ही कड़वी सच्चाई है कि वामपंथी सरकार के युग में पश्चिमबंगाल की किताबों में मार्क्सवादी विचारधारा को अनावश्यक तवज्जो दी गई थी।

जिस पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादियों ने लगातार 34 साल शासन किया, वहां के पाठ्यक्रम को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नए सिरे से लिखने की तैयारी कर रही हैं। योजना के मुताबिक हुआ तो राज्य के सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों में से मार्क्सवाद के प्रवर्तक कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स के पाठ खत्म किए जा सकते हैं। एक सरकारी शिक्षा पैनल ने यह सुझाव दिया है।

प्रस्ताव सामने आते ही राज्य में बहस छिड़ गई है और मुख्यमंत्री के मार्क्सवादी आलोचक गुस्से से लाल-पीले हो रहे हैं।तृणमूल कांग्रेस अपने इस कदम को सही साबित करने के लिए तमाम तर्क दे रही है।उसका कहना है कि इतिहास के पाठ्यक्रम में ‘असंतुलन’ है और उसे दूर किया जाएगा।

तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन का कहना है कि सरकार इतिहास को नए सिरे से लिखने का प्रयास नहीं कर रही। हम किताबों में मार्क्स-एंगेल्स को विषय के रूप में पढ़ाने के विरोधी नहीं हैं, लेकिन उन्हें महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला की कीमत पर महिमा मंडित नही किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘इतिहास न मार्क्सवाद के साथ शुरू होता है और न पश्चिम बंगाल में मार्क्सवदियों की सरकार के पतन के साथ खत्म हो गया। वह अपनी गति से सबसे आगे चलता है।

विवादित प्रस्ताव रखने वाली समिति के प्रमुख अविक मजूमदार के अनुसार, पश्चिमबंगाल की किताबों में मार्क्सवादी विचारधारा को अनावश्यक तवज्जो दी गई है। जबकि कई ऐतिहासिक घटनाओं और पात्रों को नजरअंदाज कर दिया गया है। इसमें सुधार जरूरी है। समिति ने कक्षा चौथी से बारहवीं तक के पाठ्यक्रम का विवेचन किया है। वह अगले सप्ताह सरकार को नए पाठ्यक्रम का मसौदा सौंप देगी।

ममता के इस कदम पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ वामपंथी नेता सोमनाथ चटर्जी ने सरकार द्वारा इतिहास के पाठ्यक्रम में फेरबदल के प्रयासों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसकी आलोचना की है। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि कौन मुख्यमंत्री को सलाह दे रहा है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण और विवाद का विषय है।’ उन्होंने कहा कि अगर कहीं भी छात्रों को मार्क्स, एंगेल्स और रूसी क्रांति के बारे में पढ़ाया जाता है, तो यह सोच कर नहीं कि वे वामपंथी बन जाएंगे।

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English summary
Karl Marx and Friedrich Engels-- founders of Marxism--may be out of history syllabus in government schools in West Bengal following a recommendation by a state education panel.
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