डाक्टर टहलाते रहे, मरीज की जान चली गई
पेट दर्द और सांस में तकलीफ की शिकायत पर अपने मरीज पिता हमीद को लेकर सुबह साढ़े सात बजे से लेकर चार घंटे तक अस्पताल के वार्डों में लंबी लाइनों में लगने के बावजूद चक्कर काटता रहा। सभी कमरों में मौजूद डॉक्टरों ने उसका चेकअप किया और दूसरे डॉक्टरों को दिखाने का आदेश देते रहे। इस बीच हमीद ने उपचार के अभाव में दम तोड़ दिया।
परिजन इसको लेकर भड़क उठे जब अस्पताल प्रशासन ने मरीज की मौत के बाद उसे दिल्ली के लिए रेफर कर दिया। हंगामे के बाद अस्पताल की सीएमएस ने मिली शिकायत के आधार पर जांच के आदेश दिए हैं। सेक्टर-126 के पास रायपुर का निवासी 63 वर्षीय हमीद को अचानक सांस लेने में तकलीफ और पेट में दायीं तरफ दर्द उठा था। इस पर पुत्र इस्लामुद्दीन पिता हमीद को लेकर सेक्टर-30 स्थित बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जिला अस्पताल में सुबह 7.30 बजे इमरजेंसी वार्ड पहुंचा। मृतक के परिजनों का आरोप है कि इमरजेंसी वार्ड में मौजूद डॉक्टर ने चेकअप करने के बाद उसे पर्चा बनवाने और रूम नंबर 106 में डॉक्टर को दिखाने के लिए कहा। यहां मौजूद डॉक्टर ने उसे 103, फिर 108 और 107 में दिखाने को कहते रहे। इस दौरान सभी डॉक्टर उसको एक्सरे, इसीजी और अन्य टेस्ट लिखते रहे। इसके बाद उसे वापस इमरजेंसी वार्ड भेजा गया। गंभीर हालत में हमीद ने आखिरकार साढ़े ग्यारह बजे दम तोड़ दिया। हमीद की मौत के बाद सकते में आए परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। साथ आए तीमारदारों ने आरोप लगाया कि मरीज की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने उसको महरौली, दिल्ली के टीबी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।
मरीज की मौत के बाद हंगामा करते परिजनों ने अस्पताल प्रशासन को डॉक्टरों की लापरवाही की शिकायत लिखित में दी। इसके बाद अस्पताल की मुख्य स्वास्थ्य अधीक्षक मीना मिश्रा ने जांच करने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि यह ओपन टीबी (पुराना टीबी) का मरीज था। अस्पताल प्रशासन ने उसे महरौली टीबी अस्पताल रेफर किया। इसके बाद उसकी मौत हो गई। हमीद की कार्डियोलॉजिस्ट और वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. वीडी वर्मा और चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके वर्मा ने भी जांच की थी। डॉ. डीके वर्मा ने बताया कि मरीज 11.15 पर उनके पास आया। उस वक्त मरीज को खून भी आया था। उसको एडमिट करने के लिए वीएसटी बनाई गई। तब तक उसकी हालत और खराब हुई और उसको दिल्ली रेफर किया गया। अस्पताल प्रशासन का बयान स्थिति से मेल नहीं खा रहा है। अस्पताल के अनुसार मरीज 10.30 बजे अस्पताल पहुंचा। इस बीच उसने अस्पताल का पर्चा भी बनवाया और चार से पांच डॉक्टरों को भी लाइन में लगकर दिखाया। वहीं, डॉक्टरों द्वारा लिखी गई चार से पांच जांचें भी मरीज ने करवाई। इस दौरान उसने अस्पताल से मिली दवाएं भी लीं। जानकारों के अनुसार एक घंटे के बजाय सभी जगह जाने में तीन से चार घंटे का वक्त औसतन लग जाता है।