हर क्षेत्र में आगे निकल गये हैं गुजरात के गांव
वाइबरेंट गुजरात की बात आये तो सिर्फ चमकते शहरों की बात करना गलत होगा। हमें उन गांवों की ओर भी देखना चाहिये जिनका कायापलट नरेंद्र मोदी ने किया है। जी हां गुजरात के सैंकड़ों गांव ऐसे हैं, जहां आत्मा गांव की है, और सुविधा शहर की। जी हां यहां के गांव भारतीय संस्कृति को कायम रखते हुए हरे भरे खेतों से लैस हैं। लोग अपनी परंपराओं से जुड़े हुए हैं, और साथ में उन्हें दी जा रही है विश्वस्तरीय सुविधाएं जो कई शहरों को भी आसानी से नहीं मिलती। और हाल ही में गुजरात जाकर मैंने खुद इसे देखा और महसूस किया। सबसे अच्छी बात यह है कि गुजरात सरकार तत्परता के साथ स्वर्णिम सच्चाई के एक बेहतरीन विजन के साथ काम कर रही है।
सरकार ने उस इलाके से शुरुआत की, जहां सबसे ज्यादा देखभाल की जरूरत थी। अन्यथा चुनाव के दौरान एकता और सद्भावना से युक्त यही गांव रणभूमि में परिवर्तित हो जाते। पूरे भारत में यही यथार्थ है। स्थितियां लोकसभा और विधानसभा चुनाव से कहीं ज्यादा ग्राम पंचायत चुनाव में खराब हो जाती हैं। उस दौरान लोग कंधे से कंधा मिलाक चलने को तैयार हो जाते हैं और हर दर्द लेने को तैयार रहते हैं, लेकिन बाद में कुछ नहीं होता।
इस प्रथा को गुजरात सरकार खत्म करना चाहती थी और उसने समरस ग्राम योजना की शुरुआत की। इस पहल के अंतर्गत सामूहिक निर्णय लेते हुए गांवों में परिवर्तन लाने का काम किया गया। समरस ग्राम वो गांव हैं, जिन्होंने पूरे सामंजस्य के साथ पंचायत को चुना। इस काम को करने के लिए गांवों को समरस ग्राम अवार्ड के रूप में डेढ़ लाख रुपए तक के पुरस्कार दिये गये। जिन समरस ग्राम में महिला पंचायत थी, उन्हें 3 लाख रुपए तक के पुरस्कार से नवाजा गया। गुजरात में कुल 8044 समरस गांव हैं, जिनमें 40 में महिलाओं का राज चलता है। लोगों पर राज करने की बीते वर्षों से चली आ रही परम्परा को तोड़ते हुए सरकार ने गांवों में निर्णय लेने की क्षमता कूट-कूट कर भरी।
समरस ग्राम योजना में सर्वसम्मति अत्यंत महत्वपूर्ण
राजनीतिक सर्वसम्मति के बाद सरकार ने गांवों में अपराध और सामाजिक उथल-पुथल को दूर किया। 'पावन ग्राम' और 'तीर्थ ग्राम योजना' के माध्यम से सरकार ने गांवों में सद्भावना और सामाजिक सौहार्द्ध पैदा किया। पिछले पांच सालों में जिन गांवों में अपराध नहीं हुए उन्हें तीर्थ ग्राम और जहां तीन साल तक अपराध नहीं हुआ उन्हें पावन ग्राम की संज्ञा दी गई। तीर्थ ग्राम को 1 लाख रुपए और पावन ग्राम को 50 हजार रुपए के पुरस्कार से नवाजा गया। गुजरात में आज 867 तीर्थ ग्राम और 206 पावन ग्राम हैं।
गांव किस तरह तुच्छ राजनीति से ऊपर उठ कर विकास का केंद्र बनें यह भी आप गुजरात से सीख सकते हैं। यहां 11 हजार निर्मल गांव हैं। यह संज्ञा गांव को स्वच्छता और स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए दिया जाता है। सरकार के सखी मंडल में लाखों महिलाएं शामिल हुईं और उन्होंने करीब 1 करोड़ रुपए तक की वित्तीय गतिविधियों को संभाला।
मेरी यात्रा के दौरान मुझे भी ऐसे लोगों से मिलने का मौका मिला जो गुजरात के विकास की यात्रा के सूत्रधार हैं। उनका लक्ष्य सिर्फ एक है- गांवों को स्वच्छ, साफ रखना, वहां मधुर तालमेल कायम रखना, सामाजिक उथलपुथल से दूर रखना और समाज को आत्मनिर्भर बनाना। ऐसा लगता है कि यह सब शहरों जैसी सुविधाएं मुहैया कराये बगैर संभव नहीं है। इसीलिए सरकार ने शहरों और गांवों का बराबर से ध्यान रखा।
सबसे पहली सुविधा है बिजली की, जो शहरों के साथ-साथ गांवों तक बराबर से पहुंचायी जाती है। गुजरात सरकार की ज्योति ग्राम योजना के तहत गांवों को 24 घंटे बिजली मुहैया करायी जाती है। यहां 18 हजार गांवों में हर साल कृषि महोत्सव का आयोजन होता है, जो खास तौर से किसानों के लिए होता है। जल संरक्षण के लिए सरकार ने साढ़े छह लाख बांध, सिंचाई तालाबों और बोरी-बांधों का निर्माण किया है।
गांव में जब तक लेटेस्ट टेक्नोलॉजी नहीं हो तब तक आप उसे विकसित नहीं कहेंगे। इसीलिए गुजरात सरकार त्वरित ढंग से नई तकनीकियों को गांवों तक पहुंचाती है। इसमें ई-ग्राम योजना का सबसे महत्वपूर्ण किरदार रहा है। इसके अंतर्गत गांवों को ब्रॉडबैंड इंटरनेट के कनेक्शन मिले। इसकी वजह से कई अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों को फायदा मिला। उसी दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए पंचवटी योजना चलायी गई, जिसके अंतर्गत पार्कों का निर्माण किया गया।
यह सब साकार हुआ मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई अवधारणा 'रर्बन' से। इसके अंतर्गत गांव की आत्मा के साथ विश्वस्तरीय सुविधाएं देने का संकल्प लिया गया। मुझे यह देख कर प्रसन्नता होती है कि राज्य ने इतनी तेजी से विकास किया। हाल ही में गुजरात सरकार ने तालोड तालुका के पुंसरी गांव को सर्वश्रेष्ठ पंचायत का पुरस्कार दिया। यह ऐसा गांव है, जो हर क्षेत्र में आगे निकल गया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि गांव ने खुद की यातायात सेवा विकसित कर ली है।
इन सभी प्रयासों को करीब से देख कर मुझे गुजरात के बारे में कई अनसुलझे सवालों का जवाब मिल गया। जमीनी स्तर पर यहां के लिए मेरे मन में कोई नकारात्मक विचार नहीं आता है। मैं देखता हूं कि यहां के लोग आगे बढ़ना चाहते हैं और मैं भी यही चाहता हूं...