सामने आ रहे हैं एक्जिट पोल के साइटइफेक्ट
बात उत्तर प्रदेश से शुरू करते हैं। उत्तर प्रदेश में जितने भी एक्जिट पोल कराए गए हैं उनमें समाजवादी पार्टी को बढ़त मिलती दिखाई जा रही है। हालांकि इसमें कोई भी पार्टी बहुमत हासिल करती नहीं दिखाई दे रही है। यहां सपा को पहले, बसपा को दूसरे, भाजपा को तीसरे और कांग्रेस को चौथे नंबर पर दिखाया जा रहा है।
एक्जिट पोल के इन आंकड़ों की वजह से राज्य में गठबंधन की सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। कांग्रेस ने तो पहले ही कह दिया है कि सरकार किसी की भी बने चाबी उसके हाथ में ही रहेगी। पार्टी ने अभी तक यह साफ नहीं किया है कि अगर राज्य में अगर गठबंधन की सरकार आती है तो वह माया का हाथ थामेंगे या फिर मुलायम सिंह यादव का।
इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने मायावती को मुलायम सिंह यादव से हजार गुना बेहतर बताकर यह तक कह डाला कि कांग्रेस को मुलायम का नहीं मायावती का साथ देना पड़ेगा। इससे यह भी साफ हो गया कि कांग्रेस राज्य में गठबंधन की सरकार बनने पर अहम भूमिका निभाने की तैयारी कर चुकी है। पार्टी ने यह सब एक्जिट पोल की रिपोर्टों के आधार पर किया है।
एक्जिट पोल के जो नतीजे आए हैं उसके आधार पर बीजेपी ने भी मान लिया है कि वह बहुमत से कोसों दूर है। जिस वजह से उसने नतीजों से पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह राज्य में गठबंधन सरकार आने पर वे किसी भी पार्टी का साथ देने से बेहतर विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे।
उत्तर प्रदेश से निकलकर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड चलते हैं तो यहां हुए एक्जिट पोल कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर दिखा रहे हैं। एक्जिट पोल के आधार पर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही है जबकि भाजपा भी रेस में है।
वहीं पंजाब में एक्जिट पोल के जो नतीजे आ रहे हैं वे कांग्रेस के लिए राहत भरे हो सकते हैं। हर 5 साल बाद सरकार बदलने वाले इस राज्य में कांग्रेस की वापसी होती दिख रही है। मगर कांग्रेस और भाजपा व अकाली दल गठबंधन भी यहां रेस में है। अकाली दल से अलग होकर नई पार्टी पीपीपी बनाने वाले मनप्रीत बादल भी इस बार अहम भूमिका निभा सकते हैं।
हालांकि एक्जिट पोल के नतीजों पर आंख बंद कर विश्वास नहीं किया जा सकता है। कभी ये सटीक निकलते हैं तो कभी कहानी इसके बिल्कुल उलट हो जती है। फिर भी एक्जिट पोल में जिनकी जीत दिखाई जा रही है वे इसे सटीक बता रहे हैं जबकि जो जिनको हारा हुआ बताया जा रहा है वे इसे 100 फीसदी गलत बता रहे हैं।