पीलीभीत में सिमटकर रह गए वरुण गांधी
उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के राहुल गांधी और सपा के अखिलेश यादव की तुलना में भाजपा कोई युवा नेता पेश नहीं कर पाई। चुनाव प्रचार के लिए भारी मांग होने के बावजूद युवा सांसद वरुण गांधी भी सिर्फ अपने संसदीय क्षेत्र पीलीभीत तक ही सीमित रहे। हालांकि वरुण की दलील है कि राहुल और अखिलेश से वे लगभग दस साल छोटे हैं और उनके पास बड़ी जिम्मेदारी निभाने के लिए अभी बहुत समय है। लेकिन हकीकत है वरुण के भाजपा में पर कतर गए हैं।
वरुण के इस चुनाव में अपने संसदीय क्षेत्र तक ही सीमित रहने को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जाती रही हैं। सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व से नाराजगी के चलते वरुण ने खुद को पीलीभीत तक सीमित रखा। दो हफ्ते तक यूपी में रहने के बाद अब अंतिम चरण में भी वे अपने क्षेत्र में ही रहेंगे, जबकि चुनाव प्रचार में उमा भारती के अलावा वरुण की भी भारी मांग रही है।
लोकसभा चुनाव में वरुण जिन तेवरों में दिखे थे वे इस विधानसभा चुनाव में नदारद दिखे। हालांकि वरुण ने कहा कि वे चार-पांच माह पहले ही पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी से कह चुके थे कि इस बार लो प्रोफाइल में रहकर सिर्फ अपने क्षेत्र में ही चुनाव प्रचार करना चाहते हैं। यह जरूरी नहीं है कि हर चुनाव में अपने ऊपर ही ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया जाए। उनकी दलील है कि वे सांसद के तौर पर अपने क्षेत्र के लोगों के बीच रहकर प्रचार में लगे रहे।
वरुण ने कहा कि वे कोई स्टार प्रचारक नहीं हैं कि आएं और फिर फुर्र से उड़ जाएं। बकौल वरुण चुनाव में राहुल और अखिलेश से उनकी तुलना करना उचित नहीं है, दोनों ही उनसे दस-दस साल बड़े हैं। इसलिए उनके पास अभी बहुत समय है। वरुण के अनुसार वे 31 साल के हैं और पार्टी के सचिव हैं। भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार को लेकर वरुण का मानना है कि पार्टी में पांच दर्जन नेता ऐसे हैं जिन्हें सहारनपुर से लेकर सोनभद्र तक सभी लोग पहचानते हैं, जबकि कांग्रेस में ऐसा एक भी चेहरा नहीं है जिसे पूरे राज्य में पहचाना जाता हो।