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गांव-गांव में बनेंगे अनाज भंडार, अब कोई भूखा नहीं मरेगा

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दिल्ली (ब्यूरो)। मनरेगा से लाखों लोगों को रोजगार तो मिला, उन्हें दो वक्त की रोटी मिलने लगी । लेकिन कभी हमने सोचा कि यह अपने मकसद में कितना कारगर है। पहली बार सरकार इसका बेहतर उपयोग करने जा रही है। इसके जरिये गांव-गांव में अनाज भंडार बनाए जाएंगे। देश में हर साल करोड़ो टन अनाज सिर्फ रख -रखाव न होने के कारण सड़ जाता है। सब्जियों का तो और भी बुरा हाल है। अनाज भंडार बनने से उम्मीद है सरकार की हर गरीब को अनाज देने की व्यवस्था सही तरीके से काम कर सकेगी और उम्मीद करनी चाहिए अब कोई भूखा नहीं मरेगा।

रख-रखाव के अभाव में हर साल लाखों लोगों के दो वक्त के भोजन के बराबर नष्ट होने वाले अनाज को बचाने के लिए अब ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पहल की है। मंत्रालय अपनी ध्वजवाहक योजना मनरेगा के जरिए गांवों में अनाज भंडारण के लिए स्थायी गोदामों का निर्माण कराएगा। मंत्रालय की इस पहल को खाद्य सुरक्षा कानून से जोड़कर भी देखा जा रहा है। गांवों में गोदामों का निर्माण होने से सरकार को खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक लाखों टन अनाज का सुरक्षित भंडारण करना आसान हो जाएगा।

गांवों में अनाज भंडारण का विकल्प किसानों को अपनी उपज का बेहतर बाजार मूल्य दिलाने में न सिर्फ मददगार होगा, बल्कि हर साल नष्ट होने वाले हजारों टन अनाज को भी बचाया जा सकेगा। साथ ही ग्रामीण विकास मंत्रालय मनरेगा के जरिए कुछ चुनिंदा राज्यों, जहां भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) या राज्य एजेंसियों की सक्रियता कम है वहां पर धान की खरीद पर भी विचार कर रहा है।

ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में अनाज भंडारण के लिए गोदामों का निर्माण और कृषि उपज की खरीद योजना को जल्द शुरू किया जाएगा। गांवों में खाद्यान्न के गोदामों का निर्माण होने से किसान आत्मनिर्भर बन सकेंगे। उन्होंने बताया कि अगले महीने से मनरेगा के दूसरे चरण की शुरुआत की जा रही है। राज्य सरकारों और विभिन्न समूहों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद अनेक नए विचार सामने आए हैं। उनमें से कुछ को अगले महीने तक मनरेगा-2 में शामिल किया जाएगा।

मनरेगा के नियमों और दिशानिर्देशों को दोबारा तैयार करने का काम मिहिर शाह कमेटी को सौंपा गया है, जो रिपोर्ट अगले महीने दे देगी। मनरेगा के दूसरे चरण के सुधारों में किसी राज्य को विशेष कार्य आवंटित किया जा सकता है क्योंकि अनेक राज्य सरकारों ने प्रशासनिक तंत्र में लचीले और परिवर्तन योग्य दिशा-निर्देशों की बात कही है। इसी के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय धान की खरीद को मनरेगा से जोड़ने पर विचार कर रहा है। कुछ चुनिंदा राज्यों से इसकी शुरुआत की जा सकती है।

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English summary
Grain store house to be built in rural areas through Manrega. Millions of tons of grain wasted due absence of grain store house. The ministry's move is being seen by the food safety law.
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