सितंबर से पता चल जाएगा कि कितना खतरनाक है मोबाइल
दरअसल, देश में बिकने वाले मोबाइल फोन हैंडसेट की पैकेजिंग पर अब अनिवार्य तौर से रेडिएशन के स्तर को दर्शाना होगा। यही नहीं, मोबाइल हैंडसेट कंपनियों को सेहत के लिए खतरनाक रेडिएशन किरणों के तय किए नए उत्सर्जन स्तर को भी सितंबर 2012 तक निश्चित करना होगा। दरअसल, दूरसंचार मंत्रालय ने एक अंतर मंत्रालय समिति गठित की थी, जिसने मोबाइल फोन का स्पेसिफिक एब्सॉर्प्शन रेट यानी एसएआर स्तर तय किया था।
एसएआर वह दर होती है जो बताती है कि हमारा शरीर कितनी मात्रा में रेडिएशन किरणों को ग्रहण कर सकता है। देश में अभी एक व्यक्ति के लिए रेडिएशन एसएआर स्तर छह मिनट के अंदर दो वाट प्रति किलोग्राम है, लेकिन समिति ने इसे घटाकर 1.6 वाट प्रति किलोग्राम करने की सिफारिश की है। सरकार ने हैंडसेट कंपनियों को रेडिएशन किरणों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए कहा है।
कंपनियों से कहा गया है कि वह इस बारे में बुकेलट छपवाएं और इसे मोबाइल फोन हैंडसेट की किट में रखे। सरकार ने कहा है किविदेशों से आयात होने वाले मोबाइल फोन हैंडसेट भी नए मानकों पर खरे उतरने चाहिए। गौरतलब है कि देश में अभी मोबाइल रेडिएशन को लेकर कड़े नियम नहीं है। ग्राहक भी इस बारे में अनजान है। मोबाइल तकनीक से जुड़े जानकार के अनुसार, मानक तय होने के बाद ग्राहकों के लिए अब सेहत के लिहाज से सुरक्षित मोबाइल फोन हैंडसेट का चुनाव करना आसान हो जाएगा।