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2004 में एफडीआई का भाजपा ने किया था समर्थन, अब क्‍यों नहीं

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LK Advani
दिल्ली (राजेश केशव)। रिटेल सेक्टर में एफडीआई की अनुमति के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक के बाद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी आज कांगेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। उधर, विपक्ष इस बात पर अड़ा है एफडीआई पर सरकार को रोल बैक करना ही पड़ेगा। पर आपको यहां बता दें कि सिर्फ एफडीआई पर राजनीति हो रही है। यह वहीं भाजपा है जो 2004 में रिटेल सेक्टर में एफडीआई को अपने घोषणा पत्र (पार्टी मैनुफिस्टों) में शामिल की थी। सवाल यह उठता है कि अब भाजपा इसका विरोध क्‍यों कर रही है।

भाजपा नेता और पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन इस बात से इंकार कर रहे हैं कि उनकी उस समय कोई इसकी मंशा थी। पर वह 2004 की बात को पार्टी विजन में तो शामिल बताते हैं पर यहां वह यह कहने से नहीं चूकते कि उसे बाद में हटा दिया गया था। पर हकीकत यह है कि भाजपा रिटेल सेक्टर में एफडीआई की समर्थक रही है।

इस मामले पर बुधवार को दिन भर कांग्रेस की बैठकें चलीं, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। अब कांग्रेस नेता अपने सहयोगी दलों को मनाने की कोशिशों में जुट गये हैं।

इधर, भाजपा की सीनियर नेता सुषमा स्वराज ने रिटेल में एफडीआई पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि पीएम ने कहा था कि सर्वदलीय बैठक के 24 घंटे के भीतर जवाब देंगे, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। सुषमा ने यह बात माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर के जरिए कही।

इस बीच शिवसेना अपने कड़े रुख पर कायम है और उसने कहा है कि विदेशी निवेश पर फैसला वापस लें वरना हम चर्चा के लिए तैयार नहीं। मुखर्जी ने बुधवार को कहा था कि वह पीएम मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलेंगे और उसके बाद ही सरकार फैसला करेगी कि संसद में गतिरोध को कैसे दूर किया जाए। सरकार द्वारा रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दिए जाने के फैसले पर संसद में गतिरोध जारी है।

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English summary
Opposition party BJP had supported FDI in retail in 2004, but now it is against. Why the party has taken the rotatory step.
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