अच्छा इंसान ही बनता है अच्छा वक्ता : चौहान
इस तृतीय कार्यशाला की अध्यक्षता चौ. देवीलाल यूनिवर्सिटी के जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष वीरेन्द्र चौहान व हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष कमलेश भारतीय ने की। श्री चौहान ने अपने वक्तव्य में अच्छा वक्ता बनने के लिए विद्यार्थियों को गुर सिखाए।
उन्होंने कहा कि सामने वाले के दिल की बात यदि आप कह जाते हैं तो वह उनके दिलोदिमाग में बैठ जाती है और अपनत्व का भाव आ जाता है। जब भी हम कोई बात करें हमें श्रोताओं को मद्देनजर रखते हुए उन्हीं की शैली में अपनी बात रखनी चाहिए।
इस अवसर पर प्रभाव ट्रेनिंग इंस्टीच्यूट नई दिल्ली के एचओडी मुनीष राज शर्मा ने कहा कि एक अच्छा वक्ता बनने के लिए सबसे पहले एक अच्छा इंसान बनना जरूरी है। अच्छा वक्ता वह नहीं होता जिसे लोग सिर्फ सुने बल्कि वह होता है जिसकी बातों को अपने आचरण में लाए।
अनेक प्रतियोगिताओं का हुआ आयोजन
इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को संगोष्ठी प्रतियोगिता, वाद-विवाद, संस्कृत भाषण प्रतियोगिता व कविता संगोष्ठी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की और इन्हें किस प्रकार से दूसरों के सम्मुख प्रस्तुत किया जाना चाहिए, इसके बारे में बारिकी से बताया।
वहीं दूसरी तरफ ललित कला के अंतर्गत राजेश जांगड़ा ने कोलॉज व फोटोग्राफी के बारे में, मनोज छाबड़ा ने पोस्टर मेकिंग के बारे में, भीम सिंह ने क्ले मॉडलिंग के बारे में तथा संदीप जोशी ने कार्टूनिंग के बारे में विद्यार्थियों को बारिकीयां समझाते हुए उन्हें बेहतर ढंग से बनाना सिखाया।
इस अवसर पर भीम सिंह ने क्ले मॉडलिंग के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह अभिव्यक्ति का एक ऐसा माध्यम है, जो त्रिआयामी प्रभाव लिए हुए हैं, इसमें पोटर क्ले इस्तेमाल की जाती है जो गुण गुंथे हुए आटे में है, वहीं गुण इस मिट्टी में होते हैं।
इस मिट्टी में कोमलता व लचक इतनी होती है कि अंगुली व अंगूठे के दबाव मात्र से ही विभिन्न मुद्राओं में ढ़लकर अपनी अभिव्यक्ति प्रकट करने लगती है और इसका सौंदर्य उभरने लगता है।
इस कार्यशाला में उन्होंने विभिन्न भावभंगीमाओं को अभिव्यक्त करने वाली मानव आकृतियां व उनके बैठने की विभिन्न मुद्राएं बनाकर दिखाई। इस मौके पर कार्टूनिस्ट डॉ. मनोज छाबड़ा व संदीप जोशी के कार्टूनों की तथा राजेश जांगड़ा द्वारा खींचे गए प्राकृतिक दृश्यों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
प्रसिद्ध चित्रकार सचदेव मान ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े चित्रकार तो भगवान हैं उन्होंने हर जगह पेंटिंग बनाई हुई है, जिसको केवल देखने का नजरिया चाहिए।
इसका सबसे अच्छा समय बसंत ऋतु होता है, जिसमें बहुत सारे रंग एक साथ बिखरे होते हैं, जिनको देखकर कोई भी कलाकार चित्र बनाने के प्रेरित हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने अपने आप में ऐसे अनेक भव्य और विराट चित्रों को संजोया हुआ हैं, जिसकी मनुष्य कल्पना भी नहीं कर सकता है।
वहीं चित्रकार शंकर शर्मा ने प्रतिभागियों को रंगोली के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि इसका चलन सजावट के साथ-साथ शुभचिह्न के रूप में भी किया जाता है।
ऐसी धारणा है कि यह आसुरी शक्तियों से हमें बचाकर रखती हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थानी सभ्यता एवं संस्कृति में रंगोली ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है तथा भारत के बहुत से घरानों में भी इसका प्रयोग शुभ अवसरों पर देखने को मिलता है।
सायंकालीन सत्र में बतौर मुख्यातिथि चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी के डीन एवं विभागाध्यक्ष शिक्षा विभाग डॉ. शमशेर सिंह जंग बहादुर तथा जेसीडी विद्यापीठ की प्रबन्ध निदेशक डॉ. शमीम शर्मा बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित हुए, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता जेसीडी शिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश द्वारा की गई। डॉ. शमशेर सिंह ने कहा कि खेल व सांस्कृतिक गतिविधियां विद्यार्थियों के विकास के लिए बहुत आवश्यक है तथा समय-समय पर इनके आयोजनों से उनमें आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है, जो कि शिक्षा में कामयाबी के लिए अति आवश्यक है। इस कार्यक्रम में डॉ. शमीम शर्मा ने विद्यार्थियों को अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा के साथ-साथ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है।
उन्होंने कहा कि आज के विद्यार्थी केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित हैं, वे हमारी सभ्यता व संस्कृति से अनभिज्ञ होते जा रहे हैं, इसलिए उन्हें ऐसे आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।
इस युवा महोत्सव में संगोष्ठी प्रतियोगिता में 11 कॉलेजों के 14 प्रतिभागियों ने, संस्कृत भाषण प्रतियोगिता में 7 कॉलेजों के 7 प्रतिभागियों ने, कविता संगोष्ठी में 12 कॉलेजों के 22 प्रतिभागियों ने तथा वाद-विवाद प्रतियोगिता में 22 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें अधिकतर भ्रष्टाचार, महंगाई, कन्या भू्रण हत्या, खाप पंचायतों की भूमिका जैसे अनेक विषयों को शामिल किया गया था।