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एक कब्रिस्‍तान जहां आज भी घूमते हैं पिशाच

By अश्‍वनी तिवारी
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Highgate Cemetery
भूत, रूह या आत्‍मा का कोई एक ठिकाना निश्‍चीत नहीं किया जा सकता है। लेकिन दुनिया भर में कुछ ऐसी जगहें होती है, जिसे ये रूहें और आत्‍मा अपना ठिकाना बना लेती है। अभी तक आपने पुरानी इमारतों, और जहाजों पर रूहों के कब्‍जे के बारें में पढ़ा आज हम आपकों एक ऐसी कब्रिस्‍तान के बारें में बताऐंगे जहां पर वैम्‍पायरों का राज है। एक ऐसा कब्रिस्‍तान जिसे मौत के बाद मूर्दो को गहरी नींद में सोने के लिए बनाया गया लेकिन जो बन गया है वैम्‍पायर्स यानी पिशाच का अड्डा।

हम बात कर रहे है। लंदन के हाईगेट कब्रिस्‍तान की। इस कब्रिस्‍तान में बहुत से लोगों ने वैम्‍पायर्स को देखा है जो कि आये दिन इस कब्रिस्‍तान में घुमते रहते है। अभी तक वैम्‍पायर्स के बारें में दुनिया भर में केवल अटकलें ही लगायी जाती है। लेकिन इस कब्रिस्‍तान में कई बार लोगों ने मौत के इन राक्षसों को महसूस किया है। आप खुद ही महसूस कर सकते है कि कोई भी ऐसी जगह जहां आप अकेले हो और कोई ऐसा साया जो आपके आस पास ही किसी मूर्दे के शरीर से खून पी रहा हो तो कैसा महसूस होगा।

वैसे भी दुनिया भर में कब्रिस्‍तान का नाम सुनकर लोगों को भूत, प्रेत, और आत्‍माओं का ख्‍याल आ जाता है। कब्रिस्‍तान के बारें में बहुत से लोग यही मानते है कि वहां पर रूहो का होना लाजमी है। ये सच है क्‍योंकि रूहों का वास वहीं सबसे ज्‍यादा होता है जहां उसके साथ कोई हादसा हुआ हो या जहां उसका शरीर हो। लेकिन ये रूहे भी कभी किसी को परेशान नहीं करना चाहती है। ये भी अपनी दुनिया में अलग तरह से विचरण करती रहती है। आईऐ आज लंदन के उस कब्रिस्‍तान की सैर करें।

हाईगेट कब्रिस्‍तान का इतिहास

हाईगेट कब्रिस्‍तान उत्‍तरी लंदन में बनाया गया एक कब्रिस्‍तान है। यह काफी बड़ा और विशाल है। इस कब्रिस्‍तान में कई गेट है। दुनिया भर में सबसे बडे कब्रिस्‍तान के अलांवा यह कार्ल मार्क्‍स की कब्र के लिए भी दुनिया भर में विख्‍यात है। इस कब्रिस्‍तान को सन 1839 में शुरू किया गया था। उस समय लंदन एक विचित्र संकट से जुझ रहा था।

लंदन में उस समय मृत्‍यु दर ज्‍यादा दी और आये दिनों लोगों की भारी संख्‍या में मौत हो रह‍ी थी। लोगों की हो रही लगातार मौतों के बावजूद भी लंदन में उन्‍हे दफनाने के लिए कोई जगह नहीं बची थी। इसी समस्‍या से उबरने के लिए लंदन के उत्‍तरी छोर में इस हाईगेट कब्रिस्‍तान का निर्माण किया गया। इस कब्रिस्‍तान के निर्माण के पहले जगह की किल्‍लत के चलते लोग मूर्दो को अपने घर के आस पास ही गलियसारों में दफन कर दे रहे थे जो कि बहुत ही भयावह स्‍ि‍थती थी। रास्‍तों में दफन मूर्दो से भयानक बदबू आती थी। इस समस्‍या से उबरने के लिए अधिकारियों ने इस कब्रिस्‍तान का निर्माण कराया था।

हाईगेट की संरचना और आकार

हाईगेट उस समय दुनिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित कब्रगाह था। यह कब्रिस्‍तान 37 एकड़ जमीन में फैला हुआ है और उत्‍तरी लंदन के बीचों बीच बनाया गया है। इस कब्रिस्‍तान में एक घंटा घर और ट्यूडर शैली का प्रयोग किया गया है। इसकी इमारतों में शानदार लकडियों का इस्‍तेमाल किया गया है। इस कब्रिस्‍तान मे मिश्र की शैली का भी पुरा प्रयोग किया गया है। इस कब्रगाह के लिए भी आया जिसके लिए इसका निर्माण किया गया था, पहली बार इस कब्रिस्‍तान में 26 मई 1839 को लिटील विंडमिल स्ट्रिट की एलिजाबेथ जैक्‍सन को दफनाया गया, और इसी के साथ सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक जारी है।

कब्रिस्‍तान में वैम्‍पायर्स

यह कब्रिस्‍तान बहुत ही बड़ा है और इसमें न जाने कितने लोग दफन है। जहां पर एक साथ जमीन में इतने लोग दफन होंगे वहां रूहों और आत्‍माओं का दिखना तो लाजमी ही होगा। इस कब्रिस्‍तान में भी बहुत सी ऐसी रूहे है जो गाहें बगाहें लोगों को दिख जाती है। कई बार लोगों को इसका आभास होता है और उनके साथ कोई हादसा हो जाता है। इस कब्रिस्‍तान में कई बार वैमपायर्स को देखा गया है और उन्‍हे महसूस किया गया है।

सबसे पहला मामला जो प्रकाश में आया था वो था सन 1970 में जब स्‍कूल की दो छात्राओं ने कब्रिस्‍तान के ए‍क किनारें एक वैम्‍पायर कों बैठा देखने का दावा किया था। उन दोनों छात्राओं का कहना था कि जब वो स्‍कूल से लौट रही थी और जब वो कब्रिस्‍तान के पास पहुंची तो उस समय शाम हो गयी थी और हल्‍का हल्‍का अंधेरा शुरू हो गया था। उसी समय उन्‍हे कुछ अजीब सी आवाज सुनायी दी जो कि कब्रिस्‍तान के तरफ से आ रही थी। उस समय जब उन्‍होने कब्रिस्‍तान की तरफ देखा तो वहां एक आदमी जैसा कोई बैठा और कब्र से शव को निकाल कर उनका खुन पी रहा था।

इसके अलांवा इस हादसें के एक हफ्ते बाद ही एक और मामला प्रकाश में आया जहां एक प्रेमी जोड़ ने भी एक वैम्‍पायर को देखन की बात कहीं। उनका कहना था कि वो दोनों कब्रिस्‍तान के तीसरे गेट की तरफ से रात में गुजर रहे थे उसी वक्‍त उन्‍होने एक बहुत ही बड़े आदमी को देखा जो कि सामान्‍य लंबाई से बहुत ज्‍यादा था उसका चेहरा अंधेरे के कारण देख नहीं पाया गया लेकिन उसके चेहरे का आकार और बनावट मनुष्‍यों से अलग थी। उनका कहना था कि शायद उस अजीब से साये ने उन्‍हे देख लिया था और वो उन्‍ही के तरफ धिमें धिमें बढ रहा था। इतना देख दोनों वहां से भाग गये।

इस तरह की कई घटनाए है जो कि हाईगेट कब्रिस्‍तान में देखने को मिली है। कई बार लोगों ने इस महसूस किया है। इस कब्रिस्‍तान से होकर जाने वाले सड़क पर कई बार लोगों की दुर्घटनाए भी हुयी है। इस कब्रिस्‍तान में कई बार कब्रों से लाशों के गायब होने का भी मामला सामने आ चुका है। आज भी इस कब्रिस्‍तान में आसानी से रूहों और आत्‍माओं को महसूस किया जा सकता है।

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English summary
The problem was that in the early 1800’s London had a population of just 1 million. In the following years the population had increased rapidly and the death rate along with it. After that Highgate Cemetery was constructed in 1839 and it was a very fashionable burial place for Victorians. By the 1960's Highgate Cemetery had fallen into neglect and decay. On Monday 20th May1839 The London Cemetery at Highgate was dedicated to St James by the Right Reverend Charles James Bloomfield, Lord Bishop of London. In 1971 several years after the many publicised vampire sightings, a young girl claims she was actually attacked by the vampire in the lane outside the cemetery.
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