एमपी में 19 मोरों की मौत, ग्रामीणों ने किया चक्का जाम
दस दिनों के अंदर ही दूसरी बार निरावली गाँव में मारों की बड़ी संख्या में हुई मौत से गुस्साए स्थानीय नागरिकों की मांग थी कि मोरों की मौत के लिए जिम्मेदार रायरू डिस्टलरी को यहाँ से तत्काल हटाया जाए। यहां से निकलने वाला पानी राष्ट्रीय पक्षी के लिए काल बन गया है। भीषण गर्मी में मोरों की मौत से नाराज़ ग्रामीणों ने मृत मोरों को एबी रोड पर रखकर ट्रैफिक जाम कर प्रशासन पर दबाव बनाया, लेकिन जाम में फंसे हजारों यत्रियों को तेज तपिश व चिलचिलाती गर्मी ने बेहाल कर दिया।
तीन-चार किलोमीटर लंबी वाहनों की कतारें लगने से लोग प्यास से निठाल नज़र आए। सबसे बुरा हाल तो बच्चों और महिलाओं का था। जिन वाहनों के पास ढाबे थे, उन लोगों ने तो पानी की बोतल व पाउच खरीदकर अपनी प्यास बुझा ली लेकिन जहाँ दूर-दूर तक कोई साधन नहीं था, वहाँ लोग पानी की तलाश में भटकते रहे। यहाँ तक कि लोग आसपास के खेतों में नलपूप ढूंढ़ते भी देखे गए। महिला व बच्चे परेशान हो गए।
विसरा रिपोर्ट से होगी स्थिति साफ
यहाँ दस दिन पूर्व मृत पाए गए मोरों की विसरा रिपोर्ट आ जाने के बाद ही मोरों की मौत के कारण की वास्तविक स्थिति का पता चल पाएगा। इन मोरों का पोस्टमार्टम करने के बाद इनका विसरा जाँच के लिए सागर एवं जबलपुर की लैब में भेजा गया था। वन विभाग का कहना है कि विसरा रिपोर्ट आने में लगभग एक माह का समय लगेगा।
मामले को लेकर बैठक आज
इस मामले को लेकर अपर कलेक्टर आरके जैन की अध्यक्षता में आज एक बैठक आयोजित की जा रही है। सिटी मजिस्ट्रेट उमा कटारे ने बताया कि इस संयुक्त बैठक में निरावली गाँव के पांच निवासी, रायरू डिस्टलरी प्रबंधन का प्रतिनिधि, आबकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी शामिल हैं। उधर कलेक्टर ने इस समस्या के स्थायी निराकरण के लिए वन विभाग से प्रस्ताव मांगा है और कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।