'ग्लोबल वॉर्मिंग' के कारण नहीं आते भूकंप, सुनामी
बेंगलुरू। शनिवार को रिक्टर स्केल पर 7.5 की तीव्रता वाले भूकंप ने नेपाल को हिलाकर रख दिया। भूकंप आते ही तमाम जगह लोग ग्लोबल वॉर्मिग को कोसने लगे, जबकि सच तो यह है कि भूकंप कभी ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से नहीं आता।
ग्लोबल वॉर्मिंग नहीं है वजह
अक्सर सोचते हैं कि भूकंप या सुनामी जैसी आपदाएं ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण आती हैं। इस पर हमने जब लखनऊ विश्वविद्यालय के एडवांस रिसर्च इन जियोलॉजी के भूगर्भशास्त्री डा. ध्रुव सेन सिंह से बात की।
डा. ध्रुवसेन का कहना है कि ये भूकंप या सुनामी के लिए मानव जाति कतई जिम्मेदार नहीं है। मानुष्यों द्वारा फैलाये जा रहे हर प्रकार के प्रदूषण के कारण ग्लोबल वॉर्मिंग जरूर बढ़ रही है, लेकिन उसका पृथ्वी की नीचे की सतहों में हो रही गतिविधियों से कोई लेना देना नहीं। यह लोगों का महज भ्रम है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से समुद्र में सुनामी की लहरें उठती हैं।
जमीन के नीचे खिसकती या टकराती हैं प्लेटें
डा. सिंह ने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं, यह सच है, उसकी वजह से समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, यह भी सच है, लेकिन उसकी वजह से सुनामी आती है, यह पूरी तरह गलत है। असल में सुनामी भूकंप के कारण ही आती है। पृथ्वी के अंदर जब जब टेक्टॉनिक्स (प्लेटें) खिसकती हैं या एक दूसरे से टकराती हैं, तब भूकंप आता है। हर भूकंप का एक केंद्र होता है, जिसे इपीसेंटर कहते हैं। जब यही इपी सेंटर समुद्र के बीच होता है, यानी समुद्र के नीचे प्लेटें टकराती हैं और तब उसमें से निकलने वाली ऊर्जा और कंपन (वाइब्रेशंस) इतनी अधिक होती है, कि समुद्र के पानी को ऊपर की ओर धकेलती हैं। इस वजह से कई मीटर ऊंचाई वाली लहरें उठती हैं।
डा. सिंह ने बताया कि सुनामी का केंद्र तट से जितना करीब होता है, तबाही उतनी अधिक होती है। जापान के साथ यही हुआ है। यहां पर सुनामी का केंद्र तट के करीब होने के कारण समुद्र का पानी शहर के अंदर तक चला गया है।
चंद्रमा के गुरूत्व बल से नहीं आती सुनामी
कई लोगों मानते हैं कि चंद्रमा जब पृथ्वी के करीब आता है तो गुरूत्व बल बढ़ जाने से समुद्र की लहरें ऊपर उठती हैं और सुनामी आती है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। सुनामी पृथ्वी के अंदर होने वाली गतिविधियों के कारण आती है, जबकि चंद्रमा तो आसमान में है। हां यह जरूर है कि यदि चंद्रमा पृथ्वी के ज्यादा करीब होता है, तो सुनामी से उठने वाली लहरों की ऊंचाई जरूर थोड़ी बहुत बढ़ जाती है।
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