वनइंडिया को जन्म दिन मुबारक! हम अब पांच साल के हुए!
जनवरी 2006 में हमने अपनी वेबसाइट का नाम सोचना शुरू किया! फरवरी में हमने इसका नाम वनइंडिया.इन रखा। उस समय सभी ने इस नाम के चयन को काफी पसंद किया, आज वे उसे प्रेम करते हैं।
वो हमारी टीम के लिए काफी उत्साहजनक था। किसी भी नई शुरुआत का अनुभव हमेशा उत्साहनजक होता है और डरावना भी हो सकता है। यह एकदम उसी प्रकार होता है, जैसे पेट में मधुमक्खियां घूम रही हों। 2006 में भारत में, ऑनलाइन विज्ञापन में बहुत बड़ी आय नहीं होती थी और हम एक बहुत ही विशेष क्षेत्र- भारतीय भाषाओं में थे। उस समय विज्ञापनदाता भी क्षेत्रीय भाषाओं की वेबसाइट पर विज्ञापन नहीं देते थे।
हमने एक ऑनलाइन वर्गीकृत साइट भी लॉन्च की- क्लिक.इन वो भी भारतीय भाषाओं के सपोर्ट के साथ, हम ऐसा करने वाले पहले थे। यह सभी भविष्यवादी दृष्टिकोण के साथ किया गया और हमें विश्वास था कि भारत में भाषाओं में कार्य करने वाले लोगों को इसकी जरूरत पड़ेगी। हमने शुरुआती चरणों में कुछ यूरोपीय लोगों के साथ काम किया और उनके साथ काफी कुछ सीखा व अनुभव किया।
अन्य इंटरनेट उद्यमों की तरह हमें भी उद्यम के लिए पूंजी जुटाने के लिए विशेष चरण से गुजरना था। यह हमेशा आसान नहीं होता। कोई भी हमारी भारतीय भाषाओं की चाह को खरीद नहीं रहा था। किसी को विश्वास नहीं था कि भारतीय भाषाएं वाकई इंटरनेट की दुनिया में आ सकती हैं। बहुत से लोगों का विश्वास जीतना था। हमें उस प्रयास में कभी सफलता नहीं मिली। इससे सिर्फ हमे यही सीख मिली कि हमें अपने आप ही बेहतर करना होगा। उस भरोसेमंद टीम को धन्यवाद, जिनके साथ हम आगे बढ़े।
संस्थान के अंदर लोगों के बीच बहुत सारे परिवर्तन हुए। युवाओं की शादियां होने लगी (इसलिए कार्यालय में उनका समय कम हो गया, कम से कम शादी के बाद पहले एक साल में!), हमने महिलाओं को मां बनते देखा (अचानक ढेर सारी जिम्मेदारियां घर की तरफ बढ़ीं) और कुछ ने 40 का पड़ाव पार किया।
हम बहुत सारी परेशानियों से गुजरे लेकिन उन कठिन परिस्थितियों से लड़ने के लिए हम हमेशा मेहनत करते रहे। काम में हम हमेशा अधिक हांसिल करना चाहते थे, लेकिन कुछ वित्तीय बाधाएं थीं। 2010 की शुरुआत में संस्था के प्रत्येक सदस्य को एक अच्छी खबर मिली। अप्रैल 2010 में राजेश जैन की नेटकोर ने हमारा अधिग्रहण कर लिया। नेटकोर के प्रबंधन ने हमारे साथ विभिन्न मुद्दों पर काफी सकारात्मक ढंग से कार्य किया। दोनों कंपनियों का मिलन काफी फलदायक रहा। अक्तूबर 2010 में हम नए कार्यालय में स्थानांतरित हुए। यहां बहुत अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं मिली। इससे हमारी कार्यक्षमता में काफी हद तक सुधार आएगा।
इंटरनेट
भेदी
गिलास
हम
भारत
में
और
बहुत
सारे
इंटरनेट
धारकों
को
अपनी
सेवाएं
प्रदान
करना
चाहते
हैं,
लेकिन
हमारे
यहां
इंटरनेट
भेदी
गिलास
काफी
धीमी
गति
से
भर
रहा
है।
हम
गिलास
के
खाली
भाग
को
देख
उदास
नहीं
हो
सकते।
हम
वनइंडिया.इन
में
उस
इंटरनेट
भेदी
गिलास
के
खाली
भाग
को
'अवसर'
के
रूप
में
देख
रहे
हैं।
वो
खाली
भाग
ब्रॉडबैंड
और
वायरलेस,
जिसके
2011
के
अंत
या
2012
की
शुरुआत
में
आने
की
उम्मीद
है,
से
भर
जाएगा।
मोबाइल
भेदी
मोबाइल
के
बाजार
में
भारत
ने
व्यापक
बढ़त
देखी
है।
वनइंडिया
ने
मोबाइल
के
क्षेत्र
में-
दोनो
वैप
और
एसएमएस
दोनो
में
व्यापक
रूप
से
उपस्थिति
दर्ज
करा
दी
है।
यदि
मोबाइल
पर
भारतीय
भाषाओं
का
सपोर्ट
है,
तो
उस
पर
इंडीक
ज्यादा
इस्तेमाल
होगा।
दुर्भाग्यवश
बहुत
कम
मोबाइल
फोन
पर
ही
इंडीक
का
सपोर्ट
होता
है।
कोई
बात
नहीं
हमने
ऐसे
मोबाइल
पर
ध्यान
दिया,
जिनमें
इंडीक
नहीं
है।
हमने
अपने
उत्पाद
को
सितंबर
2010
में
न्यूजहंट
पर
लॉन्च
किया,
जो
बहुत
सफल
है।
भारत
में
इंडीक
का
इस्तेमाल
अभी
तक
सिर्फ
हमारा
ही
पोर्टल
है,
जिसने
डिजिटल
क्षेत्र
में
भारतीय
भाषाओं
(इंडीक)
पर
प्रयोग
किया।
इंडीक
वर्जन
में
हमारा
क्रिकेट
स्कोरकार्ड
पाठकों
के
बीच
बहुत
पसंद
किया
जाता
है।
हम
मानते
हैं
कि
डिजिटल
क्षेत्र
में
हम
चीज
इंडीक
में
होनी
चाहिए।
जब लोगों ने हमारी सफलता देखी तब वे भी प्रतिस्पर्धा में आने लगे। कुछ मीडिया प्रतिष्ठानों ने अभी से ही अपनी इंडीक योजनाओं की घोषणा कर दी है। हम अत्यंत प्रभावशाली इंडीक के रथ पर उनका स्वागत करते हैं।
विकीपीडिया की दसवीं वर्षगांठ बहुत जल्द (15 जनवरी 2011) आ जाएगी। विकीपीडिया भी कुछ समय से इंडीक कंटेंट की बात करने लगा है। हमने भारत में बहुत सारे विकीपीडियंस को देखा है, जो इंडीक के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
चलिए ऑनलाइन क्षेत्र में 2011 को हम ईयर ऑफ इंडीक यानी इंडीक का साल के रूप में मनाते हैं। इसमें आपसे आपके सहयोग एवं दिशानिर्देशन की अपेक्षा करुंगा। हम आपसे सुनना चाहते हैं कि आपको अच्छी सेवाएं देने के लिए हम अपने आपको कैसे बेहतर बनाएं।
वनइंडिया.इन
की
टीम
की
ओर
से
हार्दिक
शुभकामनाएं
बीजी
महेश
सीईओ