जी-20 सम्मेलन : दक्षिण कोरियाई निवेश के आड़े नहीं आएगा पॉस्को (लीड 1)
सियोल, 11 नवंबर (आईएएनएस)। उड़ीसा में पॉस्को की 12 अरब डॉलर की एकीकृत स्टील परियोजना को मंजूरी मिलने में हो रही देरी के मुद्दे को सियोल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने उठाए जाने की संभावना नहीं दिखाई पड़ती है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दक्षिण कोरियाई नेताओं से मुलाकात के कार्यक्रम को देखते हुए एक भारतीय जानकार ने कहा कि पॉस्को परियोजना में हो रही देरी से भारत में दक्षिण कोरिया की दूसरी निवेश योजनाओं पर कोई असर पड़ने की संभावना भी कम ही है। मनमोहन सिंह जी-20 की शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण कोरिया गए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया को इस परियोजना की चिंता है लेकिन इसका दक्षिण कोरिया की दूसरी निवेश परियोजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दक्षिण कोरिया की कम्पनियां भारत में कई क्षेत्रों में खासकर आधारभूत संरचनाओं के क्षेत्र में भूमिका निभाना चाहती हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सियोल यात्रा के दौरान पॉस्को का मुद्दा उनके सामने नहीं उठाया जाएगा। यह उनकी कार्यसूची में नहीं हैं।
माना जा रहा है कि सियोल में जी-20 बैठक के आयोजक कोरिया के राष्ट्रपति ली म्यूंग-बाक प्रधानमंत्री से अनौपचारिक मुलाकात में इस मुद्दे को उठा सकते हैं। पॉस्को परियोजना भारत में पिछले करीब पांच सालों से पर्यावरण संबंधी कारणों से लटकी पड़ी है। साथ ही उड़ीसा के स्थानीय लोग भूमि और जीविका के छिन जाने की आशंका से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं।
पहले पोहांग आयरन एंड स्टील कम्पनी के नाम से जानी जाने वाली इस कम्पनी ने 2005 में उड़ीसा सरकार से पारादीप में 2016 तक 12 अरब डॉलर की एक बड़ी स्टील परियोजना लगाने के लिए एक करार किया था।
कम्पनी को इस परियोजना के लिए करीब 4,000 एकड़ भूमि की जरूरत है, जिसमें करीब 2,900 एकड़ पर वन है। स्थानीय आबादी इस आधार पर परियोजना का विरोध कर रही है कि इससे पान की खेती करने वाले किसानों की आजीविका प्रभावित होगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।