काचरू रैगिग-मौत मामला : 4 छात्रों को 4 साल की जेल (राउंडअप)
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुरिंदर वैद्य ने दोषी करार दिए गए कांगड़ा जिले के टांडा स्थित राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के चारों वरिष्ठ छात्रों पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
अदालत ने रैगिंग करने वाले अजय वर्मा, नवीन वर्मा, अभिनव वर्मा और मुकुल शर्मा को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 खंड-दो (गैरइरादतन हत्या), 452 (पिटाई की तैयारी के बाद गृह-अतिक्रम, हमला या गलत तरीके से काबू में करना), 34 (दोहरा इरादा) और 342 (एकांतवास के लिए विवश करना) के तहत दोषी करार दिया।
छात्र अमन (19) ने स्कूली पढ़ाई नई दिल्ली के डीपीएस इंटरनेशनल स्कूल में की थी। उसने वर्ष 2007 में मेडिकल कालेज में प्रवेश लिया था। पिछले वर्ष आठ मार्च को चार वरिष्ठ छात्रों द्वारा रैगिंग के दौरान नशे की हालत में पिटाई करने से उसकी मौत हो गई थी।
फैसले के बाद अमन के पिता राजेंद्र काचरू ने कहा, "यह एक ऐतिहासिक फैसला है लेकिन मेरे लिए यह मामला तभी खत्म होगा जब देशभर में रैगिंग के मामले बंद हो जाएंगे। वे हत्या के दोषी ठहराए जाएं या गैर इरादतन हत्या के, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। सजा कम किए जाने से मुझे थोड़ी निराशा जरूर हुई है।"
उन्होंने कहा, "अभियोजन पक्ष को फैसला लेना है कि वे सजा बढ़वाने के लिए ऊंची अदालत में जाएंगे या नहीं।"
राजेंद्र काचरू ने कहा कि यदि वह आरोपियों को वर्ष की शुरुआत में दी गई जमानत के विरुद्ध अपील नहीं करते तो उन्हें आज यह फैसला सुनने को नहीं मिलता।
इससे पहले दिन में सुनवाई के दौरान अदालत ने चारों छात्रों को रैगिग के दौरान अमन की मौत का दोषी करार दिया।
अभियोजन पक्ष ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत सजा देने की मांग की थी।
अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि वरिष्ठ छात्रों ने रैगिग के नाम पर अमन की बेरहमी से पिटाई की और हो सकता है कि उनका इरादा हत्या का भी रहा हो।
विशेष सरकारी वकील जीवन लाल शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि निचली अदालत द्वारा छात्रों को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराने के फैसले के खिलाफ अभियोजन पक्ष अपील कर सकता है। हम इसके लिए सरकार को सिफारिश करेंगे।
गुड़गांव में रहने वाले राजेंद्र काचरू ने एक दिन पहले यह कहते हुए मीडिया को ई-मेल भेजा था, "न्याय का मकसद रोकथाम होनी चाहिए, सजा नहीं। सजा को 'भावनात्मक मुआवजे' से ज्यादा रोकथाम में प्रभावी होना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि अमन ने उन्हें आखिरी टिप्पणी लिखी थी कि 'रैगिंग बंद होना चाहिए।' अमन के लिए न्याय का अभियान तभी सार्थक होगा जब उसकी इच्छा पूरी होगी।
अदालत ने इस मामले में 13 अगस्त 2009 को आरोप तय किया था और इस साल 30 अक्टूबर को अंतिम सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान 38 गवाहों के बयान दर्ज किए गए जिसमें डाक्टर, पुलिसकर्मी और राजेंद्र काचरू शामिल हैं।
अदालत में 28 अगस्त को पेश हुए राजेंद्र काचरू ने कहा था कि उनके बेटे ने 6 मार्च 2009 को हुई रैगिंग की घटना के संबंध में विस्तार से बातचीत की थी। उन्होंने कहा कि अमन ने उनसे यह भी कहा था कि उसने इस संबंध में कालेज प्रशासन को लिखित शिकायत दी है। उन्होंने कहा कि अमन से बातचीत के तीन से चार घंटे के बाद किसी ने कालेज से फोन कर कहा कि अमन की मौत हो गई।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।