उपराष्ट्रपति का गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर
नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। एक ओर जहां सरकार शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने के लिए तैयार है वहीं दूसरी ओर उपराष्ट्रपति एम. हामिद अंसारी ने गुरुवार को कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता अब भी चिंता का एक मुख्य विषय बनी हुई है।
राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर यहां आयोजित एक समारोह को सम्बोधित करते हुए अंसारी ने कहा कि शिक्षकों की अनुपस्थिति, एकल शिक्षक वाले स्कूल और वर्गीकृत शिक्षा जैसे मुद्दों को सुलझाए जाने की आवश्यकता है।
अंसारी ने कहा, "प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता की निराशाजनक तस्वीर और इसके परिणाम शिक्षा क्षेत्र में सार्वभौमिक उपलब्धि और बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा कानून, 2009 के विरोधाभासी हैं।"
वर्ष 2009 में शिक्षा की स्थिति पर आई वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत में जहां छह से 14 आयु समूह के 96 प्रतिशत छात्रों के नाम स्कूलों में दर्ज हैं वहीं औसतन 25 प्रतिशत बच्चे अनुपस्थित रहते हैं।
उन्होंने कहा कि बच्चों की सीखने की क्षमता को प्रभावित करने वाले गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से सम्बंधित सभी मुद्दों को प्राथमिकता दिया जाना आवश्यक है।
उन्होंने यह भी कहा कि सर्व शिक्षा अभियान जैसी पहल का समाज के वंचित वर्गो को बहुत कम लाभ पहुंचा है। अंसारी ने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल इलाकों, मुस्लिम बहुल इलाकों व झुग्गी-बस्तियों में इसका कारगर प्रभाव नहीं दिखा है।
अंसारी ने कहा कि हमें यह याद रखना होगा कि गुणवत्ता पर ध्यान दिए बिना शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने के परिणामस्वरूप शिक्षा का अधिकार केवल स्कूल जाने का अधिकार बनकर रह जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।