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शादी में छिटपुट घटनाएं क्रूरता नहीं : सर्वोच्च न्यायालय

By Jaya Nigam
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नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि शादीशुदा जीवन का आकलन समग्रता में किया जाना चाहिए और इस दौरान छिटपुट घटनाएं क्रूरता में शुमार नहीं होतीं।

न्यायमूर्ति पी सथशिवम और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने अपने फैसले में कहा, "पति-पत्नी के बीच किसी को भी मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित करने वाला स्थायी अनुचित और निंदनीय आचरण मानसिक क्रूरता हो सकता है।" न्यायमूर्ति सथशिवम ने कहा कि मानसिक क्रूरता में शुमार दुराचरण एक लंबे समय तक जारी रहना चाहिए। यह दुराचार इस कदर होना चाहिए कि पति-पत्नी में से कोई भी एक साथ रहने में अति कठिनाई महसूस करे।

अदालत ने इस फैसले के साथ ही गुरबक्स सिंह की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने अलग हुई पत्नी हरमिंदर कौर पर अपने वृद्ध परिजनों के प्रति क्रूर और अनादरपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाया था और उससे तलाक की मांग की थी।

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