देश के सच्चे निगहबान हैं आईटीबीपी के कमांडो
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (आईएएनएस)। मुंबई पर आतंकवादी हमले के समय चलाए गए विशेष ऑपरेशन में हिस्सा लेने वाले भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के चुस्त-दुरुस्त कमांडो राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान 71 देशों से आए खिलाड़ियों, अधिकारियों और मीडियाकर्मियों की सुरक्षा में मुस्तैद हैं।
हर वक्त सजग और सतर्क रहने वाले ये कमांडो बड़ी शिद्दत से खेलों के दौरान प्रगति मैदान में स्थित अंतर्राष्ट्रीय प्रसारण केंद्र और मुख्य मीडिया केंद्र के अलावा सभी आयोजन स्थलों पर तैनात हैं। खेलों के लिए आईटीबीपी की अलग-अलग बटालियनों की 140 कंपनियों के जवानों को नई दिल्ली बुलाया गया है।
मुंबई में 26 नवम्बर, 2008 को हुए आतंकवादी हमले के दौरान चलाए गए विशेष ऑपरेशन में होटल ताज से मुसीबत में घिरे लोगों को बचाने और आतंकवादियों को मार गिराने में आईटीबीपी के कमांडो केहर सिंह का भी बड़ा योगदान रहा। केहर सिंह अपनी इस नई भूमिका को लेकर खुश हैं।
मुख्य मीडिया सेंटर के बाहर तैनात दिल्ली पुलिस की वैन के पास मुस्तैद केहर सिंह को अपनी इस बदली भूमिका को लेकर कोई गुरेज नहीं है। केहर ने आईएएनएस से कहा कि उनके लिए जितना महत्वपूर्ण 26/11 के ऑपरेशन में हिस्सा लेना था, उतना ही महत्वपूर्ण विदेशी मेहमानों और हमारे देश की मीडिया के लोगों की रक्षा करना है।
केहर ने हालांकि ऑपरेशन के बारे में विस्तार से कुछ भी बताने से इंकार कर दिया लेकिन उन्हें इस बात का खासा अफसोस है कि उस हमले का मुख्य आरोपी अजमल आमिर कसाब दोषी करार दिए जाने के बाद भी अब तक जिंदा है। उन्होंने इस बात को लेकर खांसा अफसोस जताया कि जिन लोगों के परिजन उस हमले में मारे गए या घायल हुए, उनका दर्द बहुत बड़ा है और वह चाहते हैं कि कसाब को जल्द से जल्द फांसी दी जाए।
केहर सिंह आईटीबीपी की 15वीं बटालियन के सदस्य हैं और पिछले 10 दिनों से प्रगति मैदान में तैनात हैं। उनका मानना है कि देश सेवा ही कमांडो का असली फर्ज है और एक कमांडो इसे लेकर कभी कोई समझौता नहीं कर सकता। उनकी बातों में पूरी सच्चाई है क्योंकि मुंबई पर हुए हमले के बाद पूरी दुनिया ने देखा कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और आईटीबीपी के कमांडो ने अपनी जान पर खेलकर सैकड़ों लोगों को बचाया था।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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