जम्मू: प्रदर्शनकारी शरणार्थियों पर लाठीचार्ज, दो दर्जन से ज्यादा घायल
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जम्मू एवं कश्मीर की यात्रा पर है और विभिन्न राजनीतिक दलों, संगठनों समूहों से मिलकर राज्य की वर्तमान स्थिति का जायजा ले रहा है।
ये शरणार्थी 1947 में विभाजन के समय जम्मू आए थे। वे विक्रम चौक स्थित एक पार्क में धरना दे रहे थे तभी पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए उन पर लाठीचार्ज कर दिया। कुछ ने आरोप लगाया है कि उन्हें बंदूक के कुंदों से पीटा गया।
शरणार्थियों का नेतृत्व करने वाले संगठन एसओएस के एक नेता जसपाल मंगत ने बताया, "मुझ पर बंदूक के कुंदों से हमला किया गया और पुलिसकर्मीयों ने ठोकरें मारी। वे हमें गालियां भी दे रहे थे।"
मंगत ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने निर्देश जारी किए थे कि शरणार्थियों को प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिलने दिया जाना चाहिए। शरणार्थियों के एक और नेता राजीव चुनी का कहना है कि एक ओर तो उमर ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की अलगाववादियों से मुलाकात में मदद की और दूसरी ओर वास्तविक तौर पर मुसीबतें झेल रहे लोगों को उनसे दूर रखने का आदेश दिया।
प्रदर्शनकारियों
पर
लाठीचार्ज
की
कार्रवाई
को
सही
ठहराते
हुए
एक
पुलिस
अधिकारी
ने
कहा
कि
प्रदर्शनकारी
कानून-व्यवस्था
को
नुकसान
पहुंचाने
की
कोशिश
कर
रहे
थे।
मगर
यह
पूछे
जाने
पर
कि
प्रदर्शनकारियों
पर
बंदूक
के
कुंदों
और
पैरों
की
ठोकरों
का
इस्तेमाल
क्यों
किया
गया
तो
उन्होंने
इस
बात
का
कोई
जवाब
नहीं
दिया।