सरकारी गोदामों में सड़ रहे अनाज की जांच की सरकार इच्छुक नहीं!
आरटीआई कार्यकर्ता देव आशीष भट्टाचार्य ने बताया कि 1997 और 2007 के बीच 1.83 लाख टन गेहूं, 6.33 लाख टन चावल, 2.20 लाख टन धान और 111 लाख टन मक्का एफसीआई के विभिन्न गोदामों में सड़ गया। भट्टाचार्य ने बताया, "जांच के लिए अभी तक एक दल की पहचान नहीं की जा सकी है। लोकसभा में इस बारे में चर्चा हुए एक साल बीत चुका है। ऐसे में जब लाखों टन खाद्यान्न सड़ रहे हों और लाखों लोग भूखे जीवन काट रहे हों, उस स्थिति में कृषि मंत्रालय का यह रुख आश्चर्यजनक है।" पवार ने मंगलवार को राज्यसभा में स्वीकार किया था कि खाद्यान्नों के सड़ने की घटना एक शर्मनाक सच्चाई है। उन्होंने कहा था कि 6.86 करोड़ रुपये कीमत का 11,700 टन से अधिक खद्यान्न सरकारी गोदामों में सड़ा हुआ पाया गया है।
इस
बीच
पहली
जनवरी,
2010
को
दायर
एक
आरटीआई
आवेदन
से
यह
संकेत
मिला
है
कि
एफसीआई
के
गोदामों
में
10,688
लाख
टन
खाद्यान्न
सड़ा
हुए
पाया
गया।
खाद्यान्न
की
यह
मात्रा
छह
लाख
लोगों
को
10
वर्षो
तक
पेट
भरने
के
लिए
पर्याप्त
था।
शरद
पवार
ने
शुक्रवार
को
लोकसभा
में
प्रश्नकाल
के
दौरान
कहा,
"खाद्यान्नों
के
सड़ने
से
संबंधित
सारी
खबरें
तथ्यगत
रूप
से
सही
नहीं
हैं
और
उन्हें
बढ़ा-चढ़ा
कर
पेश
किया
जा
रहा
है।
खाद्यान्न
सड़ने
के
केवल
कुछ
मामले
ही
सही
हैं
और
हमने
इसके
लिए
कुछ
अधिकारियों
को
निलंबित
कर
दिया
है।"