नलिनी व मुरुगन की रिहाई संबंधी याचिका खारिज
न्यायमूर्ति वी.एस.सिरपुरकर और न्यायमूर्ति मुकुंदम शर्मा की खण्डपीठ ने ई.वेलुचामी द्वारा दाखिल याचिका को खारिज कर दी। वेलुचामी ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इसके पहले मद्रास उच्च न्यायालय ने वेलुचामी की याचिका खारिज कर दी थी।
न्यायमूर्ति सिरपुरकर ने 23 जुलाई को दायर याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता से पूछा कि उच्च न्यायालय द्वारा मामले को खारिज किए जाने के बाद वह इसे सर्वोच्च न्यायालय में क्यों लाना चाहता है।
याचिकाकर्ता सातों दोषियों की इस आधार पर रिहाई चाहता है कि जैन आयोग ने इस मामले में और जांच करने की सिफारिश की थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि चूंकि सभी दोषी 14 साल कारावास की सजा काट चुके हैं, लिहाजा उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए। इन सात दोषियों में से तीन को मौत की सजा सुनाई गई है और चार को आजीवन कारावास की सजा।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि याचिकाकर्ता का इस मामले से कुछ भी लेना-देना नहीं है और आरोपियों ने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया है।
मुरुगन और दो अन्य मौत की सजा का सामना कर रहे हैं, जबकि नलिनी आजीवन कारावास की सजा काट रहे चार दोषियों में है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।