ब्रिटेन ने पाक को चेताया, भारत पर जोर लगाया (राउंडअप)
बेंगलुरू के बाहर स्थित इंफोसिस टेक्नोलॉजीज परिसर में अपने संबोधन में कैमरन ने कहा, "हम एक मजबूत, स्थिर और लोकतांत्रिक पाकिस्तान देखना चाहते हैं, लेकिन हम आतंकवाद का निर्यात किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं कर सकते, चाहे वह निर्यात भारत, अफगानिस्तान को किया जा रहा हो या दुनिया में कहीं और।"
ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा 9/11 के बाद आतंकियों से लड़ने के लिए पाकिस्तान को दी जा रही अरबों डॉलर की सैन्य सहायता से कोष के लीक होने की खबरों पर चिंता व्यक्त करते हुए कैमरन ने आतंक को बढ़ावा देने वाले या भारत में अशांति को बढ़ावा देने वाले किसी संगठन से रिश्ते की बात को खारिज कर दिया।
कैमरन ने अपने 30 मिनट के संबोधन में कहा, "मैं गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उस बारे में जानकारी दूंगा कि मैंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ अपने वाशिंगटन दौरे के दौरान क्या चर्चा की थी। क्योंकि जब मुद्दा बेगुनाह लोगों की हिफाजत का आता है, तो हम अफगानिस्तान व पाकिस्तान में घट रही घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते।"
इसके साथ ही कैमरन ने कहा कि भारत उनके देश के भविष्य के लिए, खासतौर से आर्थिक मोर्चे पर बहुत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, "भारत हमारे भविष्य के लिए खासतौर से आर्थिक कारणों से बहुत महत्वपूर्ण बन गया है, क्योंकि आपका देश हमारी कंपनियों के लिए अपार अवसर मुहैया कराता है।"
कैमरन ने कहा कि वह आने वाले महीनों और वर्षो में साझेदारी व निवेश के जरिए ब्रिटेन और भारत में हजारों की संख्या में रोजगार में बढ़ोतरी को देखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, "इस बार मेरे दौरे का मुख्य उद्देश्य ब्रिटेन और भारत में तमाम नौकरियों को पैदा करने के लिए अवसरों का सृजन करना है।"
भारतीय कंपनियां ब्रिटेन में लगभग 90,000 लोगों को नौकरी देती हैं, जबकि ब्रिटेन में तमाम नौकरियां इसलिए पैदा होती हैं, क्योंकि भारत में ब्रिटिश कंपनियों की बड़ी उपस्थिति है।
अमेरिका में औद्योगिक क्रांति की ऊंचाई के समय प्रचलित लोकोक्ति का जिक्र करते हुए, जब कहा जाता था, "अवसर और भविष्य पाने के लिए पश्चिम की ओर जाओ जवान।" कैमरन ने कहा कि "आज के निवेशक और उद्यमियों को पूर्व की ओर जाना चाहिए।"
कैमरन ने कहा कि वह भारत-ब्रिटेन संबंधों को एक नए चरण में ले जाना चाहते हैं। "मैं एक नया प्रधानमंत्री हूं। मैं एक नए गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहा हूं। हम ब्रिटेन को और दुनिया भर में उसके संबंधों को एक नई शुरुआत दे रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "हम साझेदारियां करना चाहते हैं, दोस्ती को ऊंचा उठाना चाहते हैं, हम संवाद को विस्तार देना चाहते हैं। इसलिए मैं यहां एक स्पष्ट उद्देश्य से आया हूं, यह दिखाने के लिए कि दोनों देशों के लिए इस नई शुरुआत का क्या अर्थ है।"
कैमरन ने कहा कि यह उनका तीसरा भारत दौरा है। "पहली बार मैं तब आया था जब एक राजनीतिज्ञ था। एक बार तब आया, जब नेता प्रतिपक्ष था। मैं अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में भारत आया हूं।"
खुद को एक व्यावहारिक राजनीतिज्ञ की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि जब समस्याएं गंभीर हो जाएं, तो उससे निपटना चाहिए, "जब जवाब लाजिमी हो तो उसे दिया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "आज मैंने संबंधों में बढ़ोतरी और सामने खड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए एक साझे संकल्प के बारे में जो कुछ भी कहा है, वह भावनाओं से पैदा नहीं हुआ है।"
कैमरन ने कहा, "मैं एक व्यावहारिक राजनीतिज्ञ हूं। मैं मानता हूं कि जब समस्याएं गंभीर हों तो हमें उससे निपटना चाहिए। जब जवाब लाजिमी हो तो हमें जवाब देना चाहिए। मैं इसीलिए यहां आया हूं।"
कैमरन ने तीन गंभीर समस्याओं को गिनाया - आर्थिक संकट, वैश्विक असुरक्षा, जलवायु परिवर्तन। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन समस्याओं का जवाब देना लाजिमी है। इसके जवाब के लिए भारत और ब्रिटेन एकजुट होने जा रहे हैं।
भारत के साथ आर्थिक संबंधों की मजबूती के लिए ब्रिटेन, अपनी असैन्य परमाणु कंपनियों को भारत के साथ व्यापार करने का लाइसेंस भी देने की तैयारी कर रहा है। वह किसी परमाणु दायित्व विधेयक की अनुपस्थिति को इस रास्ते में बाधा के रूप में नहीं देखता।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के बीच बातचीत के दौरान असैन्य परमाणु सहयोग का मुद्दा भी उठेगा।
कैमरन के साथ पहली बार भारत दौरे पर आई ब्रिटेन की व्यापार मंत्री, विंस केबल ने बुधवार को संकेत भी दिया है कि दोनों देश असैन्य परमाणु सहयोग के क्षेत्र में अच्छी प्रगति की उम्मीद रख सकते हैं।
केबल ने बेंगलुरू में संवाददाताओं को बताया, "रॉल्स रॉयस, सेरको जैसी कई ब्रिटिश कंपनियां हैं, जो भारत के साथ बड़ी मात्रा में व्यापार कर सकती हैं।"
उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से इसमें सुरक्षा संबंधी चिंताए हैं। हम इसके प्रति सजग हैं। लेकिन उन मजबूरियों के बावजूद हम वाकई में असैन्य परमाणु सहयोग के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं। यह निश्चितरूप से एक बड़ा क्षेत्र होगा, जहां हम प्रगति कर सकते हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।