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विपक्ष का काम रोको प्रस्ताव नामंजूर, टकराहट बढ़ी (राउंडअप)

By Staff
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भाजपा और अन्य विपक्षी दलों द्वारा लाए गए काम रोको प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा केवल सभी कराई जा सकती है जब सरकार अपने दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रही हो।

उन्होंने इस संबंध में पूर्व अध्यक्ष जी. एस. ढिल्लों की ओर से दी गई व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार महंगाई के बारे में विपक्षी नेताओं की चिंताओं को महसूस करती है और इस संबंध में अपनी भी चिंता व्यक्त करती है। लेकिन यह मामला ऐसा नहीं है, जब सरकार अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने में विफल रही हो।

विपक्ष दलों की ओर से महंगाई के मुद्दे पर दिए गए प्रस्ताव के नामंजूर होते ही लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद कई सदस्य लोकसभाध्यक्ष के आसन के निकट पहुंच गए। हंगामे को देखते हुए सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

इससे पहले लोकसभाध्यक्ष ने काम रोको प्रस्ताव पर अपना पक्ष रखने की अनुमति दी। महंगाई के मुद्दे पर लोकसभा में हंगामा जारी रहने पर मीरा कुमार ने विपक्ष से कहा, "मुझे कार्यस्थगन प्रस्ताव से संबंधी कई नोटिस मिले हैं। मैं आप लोगों से जानना चाहती हूं कि आपके नोटिस को क्यों स्वीकार किया जाए?"

नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा, "हमारा कार्यस्थगन उन आम लोगों के लिए है जिनके जरिए यह सरकार सत्ता में आई और अब उन्हीं लोगों को परेशान कर रही है। हमारा प्रस्ताव पूरी तरह उचित है।"

सदन में सरकार का पक्ष रखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि विपक्ष सदन की कार्यवाही बाधित करना चाहता है इसलिए वह इस महंगाई के मुद्दे को कुछ ज्यादा तूल देना चाहता है। उन्होंने कहा कि कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा की कोई जरूरत नहीं है।

मुखर्जी ने कहा, "हम चर्चा के लिए तैयार हैं। इस मुद्दे पर चर्चा से हमें कोई परहेज नहीं है। सरकार चर्चा का स्वागत करती है लेकिन इस पर कार्यस्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा नहीं हो सकती।"

समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता मुलायम सिंह यादव ने कहा, "विपक्ष सदन में उन 85-90 फीसदी लोगों की भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं जो महंगाई की पीड़ा झेल रहे हैं। लोग भूख से मर रहे हैं।"

लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को कहा कि वह और सपा नेता मुलायम सिंह यादव को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच का कोई डर नहीं है। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा को याद दिलाया कि उन्हें और मुलायम सिंह यादव को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का कोई डर नहीं है। "सीबीआई से मैं भयभीत नहीं हूं और मुलायम सिंह भी सीबीआई से डरे हुए नहीं हैं।"

सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के एक घटक दल तृणमूल कांग्रेस ने भी नियम 193 के तहत मूल्य वृद्धि पर चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया था। इसके अलावा जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के नेता दारा सिंह चौहान और कई अन्य विपक्षी नेताओं ने भी कार्यस्थगन प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने और महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की।

लोकसभा में आमतौर पर आगे की पंक्ति में बैठने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार इस दौरान पीछे की पंक्तियों पर बैठे रहे।

लोकसभा अध्यक्ष के निर्णय के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओं ने बैठक की और इस मुद्दे पर सरकार पर लगातार दबाव बनाने का निर्णय लिया गया। भाजपा ने इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण ठहराया और कहा कि इस निर्णय से आम आदमी को निराशा हुई है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने संवाददाताओं से यहां कहा, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय है। आम आदमी को उम्मीद थी कि उसे (मूल्य वृद्धि से) कुछ राहत मिलेगी। यह निर्णय उनके लिए (आम आदमी) के लिए निराशाजनक और झटका देने वाला है।"

मुंडे ने कहा, "इस मुद्दे पर कल विपक्ष फिर एकजुट होगा। हम सरकार को घेरेंगे। हम अपनी रणनीति पर कल निर्णय लेंगे।"

उधर, राज्यसभा में भी महंगाई के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। एक बार के स्थगन के बाद जब सदन की कार्यवाही 12 बजे दोबारा शुरू होने हुई तो विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। इसके बाद सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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