काचरु रैगिंग मामला : आरोपियों की जमानत निरस्त (राउंडअप)
जमानत के फैसले को कानून के विरुद्ध बताते हुए न्यायमूर्ति डी.डी.सूद ने कहा, "निचली अदालत द्वारा आरोपियों को दी गई जमानत कानून के विरुद्ध है।"
इससे पहले उन्होंने सरकार से जानना चाहा था कि क्यों न उनकी जमानत निरस्त कर दी जाए। सत्र न्यायालय से आरोपियों को मिली जमानत का उन्होंने स्वत: संज्ञान लिया था।
न्यायमूर्ति सूद ने 37 पृष्ठों के फैसले में कहा, "निचली अदालत को सबूतों के अनुसार तिथि (2 अगस्त) तय करनी चाहिए थी और यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि सुनवाई कितने दिनों में पूरी की जानी है। साथ ही यह भी ध्यान में रखना चाहिए था कि अनावश्यक स्थगन से किसी पक्ष को क्या कोई फायदा पहुंचेगा।"
उच्च न्यायालय ने आरोपियों को कांगड़ा जिले के धर्मशाला स्थित त्वरित अदालत में गुरुवार को सुबह 10 बजे आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
खंडपीठ ने आरोपियों के वकील की याचिका स्वीकार कर उनको आत्मसमर्पण करने की अनुमति दी। पहले उन्होंने चारों को तत्काल गिरफ्तार करने का आदेश दिया था।
धर्मशाला के त्वरित न्यायालय ने चारों आरोपियों अजय वर्मा, नवीन वर्मा, अभिनव वर्मा और मुकुल शर्मा को 16 महीने की हिरासत के बाद गत 17 जुलाई को जमानत दी थी।
उच्च न्यायालय ने धर्मशाला की त्वरित अदालत को मामले की रोजाना सुनवाई करने का निर्देश दिया।
सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता आर.के.बावा ने कहा कि आरोपियों को मुकदमे के बीच में जमानत दी गई। उनको जमानत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वे साक्ष्यों को प्रभावित कर सकते हैं।
कांगड़ा जिले के थंडा कस्बे में स्थित राजेंद्र प्रसाद चिकित्सा महाविद्यालय के अंतिम वर्ष के चार छात्रों द्वारा 19 वर्षीय काचरु की कथित तौर पर रैंगिग करने के कुछ ही घंटों के भीतर आठ मार्च 2009 को मौत हो गई थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।