रेल दुर्घटना: ड्राइवर से भूल या सिग्नल में गड़बड़ी?
सैंथिया। पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में सोमवार को हुए रेल हादसे में 63 लोगों की मौत हो चुकी है और 150 लोग घायल हुए हैं। इतनी बड़ी क्षति का जिम्मेदार कौन है? यह सवाल रेल प्रशासन के सामने बड़ा प्रश्नचिन्ह बनकर खड़ा हुआ है। रेलवे अधिकारियों की मानें तो इस प्रकार की दुर्घटना के दो ही प्रमुख कारण हो सकते हैं, चालक की भूल या फिर सिग्नल में दोष।
रेलवे के पूर्व इंजीनियरों और कर्मचारियों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि पीछे से आ रही रेलगाड़ी आगे वाली रेलगाड़ी को तभी रौंद सकती है, जब चालक सिग्नल की अनदेखी करे या सिग्नल प्रणाली में दोष हो। इंजीनियरों की इस टिप्पणी से सियालदह जा रही उत्तरबंगा एक्सप्रेस के चालक पर लापरवाही बरतने की ऊंगली उठती है। बीरभूम में सैंथिया स्टेशन पर भागलपुर-रांची वनांचल एक्सप्रेस को उत्तरबंगा ने पीछे से टक्कर मार दी थी।
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रेलवे का कहना है कि चालक ने सिग्नल की अनदेखी की। उधर दूसरी तरफ कई विशेषज्ञों ने बातचीत में कहा कि यह विश्वास करना कठिन है कि चालक, सह चालक और गार्ड उस वक्त सतर्क नहीं रहे होंगे, जब रेलगाड़ी 100 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल रही हो।
कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के मुख्य इंजीनियर (सिगनल संचार) और ब्रिटेन स्थित इंस्टीट्यूशन आफ रेलवे सिग्नल इंजीनियर्स के फेलो जीजी बिस्वास ने कहा, "यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उत्तरबंगा एक्सप्रेस के चालकों ने सिग्नल की अनदेखी की होगी जिसकी वजह से दुर्घटना हुई। दुर्घटना की असल वजह जानने के लिए क्षतिग्रस्त इंजन के स्पीडोग्राफ के साथ ही कई अन्य चीजों की जांच जरूरी है।"
एक अन्य विशेषज्ञ ने से कहा, "अगर यह मान भी लिया जाए कि चालकों ने सिग्नल की अनदेखी की तो फिर गार्ड को आपात ब्रेक लगाने से किसने रोका?"
इंजीनियरों का कहना है कि रेलगाड़ियों की आवाजाही स्वचालित इंटरलाकिंग प्रणाली पर काम करती है। इस प्रणाली में रूट जब तक पूरी तरह सुरक्षित न हो रेलगाड़ी को ग्रीन सिग्नल नहीं मिलता। इस तरह किसी खंड पर अगर रेलगाड़ी है तो वह खंड स्वचालित प्रक्रिया के तहत लॉक हो जाएगा और सिग्नल रेड हो जाएगा।
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स्वचालित इंटरलाकिंग प्रणाली तभी काम करना बंद करती है, जब उस पर मरम्मत का काम चल रहा हो। ऐसे में चालकों को रेलगाड़ी चलाने के लिए निर्देशों के साथ 'मेमो' दिया जाता है। उत्तरबंगा एक्सप्रेस मामले में इस तरह का कोई मेमो नहीं दिया गया था। कुछ ने यह सवाल भी उठाया कि जब रेलगाड़ी का ठहराव सैंथिया स्टेशन पर था, तब यह इतनी तेज गति से क्यों चल रही थी।
एक इंजीनियर ने सवाल उठाया कि रेलगाड़ी की स्थिति को लेकर सभी स्टेशन प्रबंधक हॉटलाइन के जरिये जुड़े होते हैं। उत्तरबंगा एक्सप्रेस कहां है इसकी जानकारी भी सैंथिया स्टेशन के अधिकारियों को थी तो फिर अधिकारियों ने दोनों रेलगाड़ियों के चालकों को अलर्ट क्यों नहीं किया।