सितंबर तक बाजार में आएगी मिजोरम की वाइन
सैयद जरीर हुसैन
आईजोल, 20 जुलाई (आईएएनएस)। मिजोरम में शराब उत्पादन पर 13 साल से लगे प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद प्रदेश के बेहतरीन अंगूरों से बनी वाइन अगले दो महीने में बाजारों में पुहंच जाएगी।
बागवानी निदेशक सेम्युअल रोसांगुलेरा ने कहा, "प्रदेश की दो वाइनरियों में बनाई जा रही वाइन की पहली खेप सितंबर तक बाजार में आ जाएगी।"
म्यांमार और बांग्लादेश के सीमावर्ती और ऊंची पहाड़ियों और घने जंगलों का यह प्रदेश बेहतरीन गुणवत्ता के अंगूरों के लिए भी मशहूर है। फलों से बनी वाइन को गुणवत्तापूर्ण और व्यावसायिक नजरिए से व्यवहार्य माना जाता है।
इस वाइन को 14 प्रतिशत एल्कोहल युक्त रखकर 750 मिलीलीटर की आकर्षक बोतल में 150 रुपये से कम कीमत पर ज्वालैदी ब्रांड नाम के अंतर्गत बाजार में उतार जाएगा। मिजो भाषा के शब्द ज्वालैदी का अर्थ 'प्यार की औषधि' होता है।
हनाहलान और चंपाई में स्थित दोनों वाइनरियों में वाइन निर्माण की प्रक्रिया का नियंत्रण शराब क्षेत्र की प्रमुख कंपनी शॉ वालेस द्वारा किया जा रहा है।
मिजोरम की अंगूर उत्पादक समिति के कार्यकारी निदेशक वी. चेंकुअल ने आईएएनएस से कहा, "वाइन को प्रतिस्पर्धी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के अनुरूप बनाने के लिए शॉ वालेस के विशेषज्ञ यहां प्रशिक्षण और निर्देशन के लिए मौजूद हैं।"
एक अनुमान के मुताबिक इस साल इस वाइन की एक लाख बोतलें बेची जाएंगी।
चेंकुअल ने कहा, "इस वाइन को केवल मिजोरम में ही बेचा जाएगा, इसकी पैकिंग पर साफ तौर पर लिखा गया है 'केवल मिजोरम में बिक्री के लिए'।"
मिजोरम सरकार ने 1997 से लगे प्रतिबंध में कुछ ढील देते हुए प्रदेश में बनी वाइन में 16 प्रतिशत एल्कोहल की अनुमति दे दी है।
मिजोरम के करीब 1,000 किसान हर साल 3,000 एकड़ जमीन से 6,000 क्विंटल अंगूर उगाते हैं।
रोसांगुलेरा ने कहा कि "जानकारों के अनुसार यहां के अंगूरों से बनी वाइन को विदेशों में आसानी से बेचा जा सकता है लेकिन अभी हम केवल घरेलू बाजार पर ध्यान दे रहे हैं विश्व बाजार पर हम बाद में ध्यान देंगे।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।