रेल हादसा : 80 वर्षीया महिला पहुचीं खून देने
इसका उदाहरण उस समय देखने को मिला, जब एक 80 वर्ष की बुजुर्ग हादसे के शिकार लोगों को खून देने के लिए लंबी दूरी तय करके पहुंची।
अपनी इस जिजीविशा के कारण खोजताबा बीबी आज बीरभूम जिले के मुख्यालय सूरी में मिसाल बन चुकी हैं। वह इस हादसे के शिकार लोगों को खून देने के लिए पैदल ही सूरी जिला अस्पताल पहुंची। इसी स्थान पर अधिकांश घायलों को रखा गया है।
सैंथिया कोलकाता से 190 किलोमीटर दूर है। रविवार देर रात यहां उत्तरबंगा एक्सप्रेस रेलगाड़ी ने स्टेशन पर खड़ी भागलपुर-रांची वनांचल एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी थी।
बीबी ने कहा, "मैं यहां घायलों को खून देने आई हूं। एक दिन तो मुझे मरना ही है लेकिन उससे पहले मैं कुछ ऐसा करना चाहती हूं, जिससे मुझे संतुष्टि मिले। किसी की जान बचाकर मुझे बेहद खुशी होगी।"
सूरी अस्पताल के डॉक्टरों ने उम्र अधिक होने के कारण बीबी का खून लेने से इंकार कर दिया लेकिन बीबी नहीं मानीं और डॉक्टरों से लगातार अनुरोध करती रहीं। उन्होंने दावा किया कि वह किसी 40 वर्ष की उम्र के व्यक्ति से अधिक सेहतमंद हैं।
बीबी को हालांकि निराश लौटना पड़ा क्योंकि डॉक्टरों ने उन्हें खून दान देने की इजाजत नहीं दी। बीबी के इस योगदान ने कई युवाओं को प्रेरित किया। उन्होंने घायलों के लिए अपना खून देकर बीबी की निराशा को कम करने का प्रयास किया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।