जानकार मानते हैं कि नीदरलैंड्स की टीम दूसरे दौर तक ज़रूर पहुँचेगी.1974 और 1978 के विश्व कप के फ़ाइनल तक पहुँची नीदरलैंड्स की टीम डेनमार्क को पराजित करके अपना सफ़र शुरू करना चाहेगी.नीदरलैंड्स की टीम अपने सभी आठ क्वालीफ़ाइंग मैच जीतकर विश्व कप में पहुँची है. टीम में इंग्लिश प्रीमियर लीग और इटालियन लीग के कई जाने-माने चेहरे हैं. इसलिए माना जा रहा है कि टीम इस विश्व कप में आगे तक जाएगी.
डेनमार्क का विश्व कप में कोई बहुत अच्छा रिकॉर्ड नहीं है. पहली बार टीम ने 1986 के विश्व कप में क्वालीफ़ाई किया था. वर्ष 1998 में डेनमार्क की टीम क्वार्टर फ़ाइनल तक पहुँची थी, जो आज तक का उनका बेहतरीन सफ़र है. इस मैच में नीदरलैंड के रॉबिन वैन पर्सी और डेनमार्क के डेनिएल एगर के बीच मुक़ाबला देखने लायक़ होगा.नीदरलैंड्स की टीम के जिन खिलाड़ियों पर नज़र होगी, उनमें हैं- ब्रांकोस्ट, रॉबिन और क्यूट. जबकि डेनमार्क की टीम में टॉमसन, बेंटेंडर और साइमन जेयर.
जापान बनाम कैमरुन
दूसरा मैच ब्लूमफोंटेन में जापान और कैमरून के बीच खेला जाएगा. इस मैच में सबकी नज़र सैमुएल एटो पर होगी, जो अपने आलोचकों को अपने प्रदर्शन से चुप कराने को बेताब हैं.विश्व कप से पहले कैमरून के पूर्व स्टार खिलाड़ी रोजर मिल्ला ने एटो पर आरोप लगाया था कि वे अपने क्लब जैसा प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय मैचों में नहीं करते. एटो इस समय इंटर मिलान से खेलते हैं. फिर भी कैमरून की टीम का भविष्य एटो के प्रदर्शन पर बहुत कुछ निर्भर करता है.
दूसरी ओर जापान की टीम ने ग्रीस के ख़िलाफ़ दक्षिण कोरिया के शानदार प्रदर्शन को प्रेरणा के रूप में लिया है और कैमरून के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन की बात कही है. कैमरून की टीम 1990 के विश्व कप जैसा प्रदर्शन फिर नहीं कर पाई है. 1990 के क्वार्टर फ़ाइनल में उसे इंग्लैंड के हाथों हार मिली थी.
जापान के कप्तान मकोतो हसेबे फ़िट हैं और कैमरून के स्टीफ़ेन मबिया से उनका मुक़ाबला देखने लायक़ होगा. इसके अलावा जापान के जुनिची इनामोटो के भी प्रदर्शन पर नज़र होगी. जापान के किसुके होंडा इस विश्व कप में अपने प्रदर्शन की छाप छोड़ने के लिए तैयार हैं. उभरते हुए इस युवा खिलाड़ी को मौक़ा मिलने के पूरे आसार हैं.दूसरी ओर एटो के अलावा कैमरून के डिफ़ेंडर सेबेस्टियन बॉसांग के भी प्रदर्शन पर फ़ुटबॉल प्रेमियों की नज़र होगी.
इटली बनाम पराग्वे
तीसरा और आख़िरी मैच केपटाउन में इटली और पराग्वे के बीच खेला जाएगा. इटली की टीम अपने ख़िताब की रक्षा के लिए मैदान पर उतरेगी. लेकिन उसका सफ़र बहुत अच्छा नहीं रहा है.वॉर्म अप मैच में मैक्सिको के हाथों मिली हार से भी प्रशंसकों का दिल टूटा है.
इटली के लिए अच्छी ख़बर ये है कि डेनियले पर्लो और डी रोसी ठीक हैं और उम्मीद है कि वे मैच में खेलेंगे. इटली को हमेशा से धीमी शुरुआत के लिए माना जाता है.दूसरी ओर पराग्वे के ऑस्कर कारडोज़ो घायल हैं और उनके खेलने की कम ही उम्मीद है. लेकिन लुकास बैरियोस और सांता क्रुज़ से टीम को काफ़ी उम्मीद है.
ब्राज़ील के 1958 और फिर 1962 में लगातार दो बार विश्व कप जीतने के बाद से कोई भी टीम लगातार दो बार विश्व कप नहीं जीत पाई है. जानकार इटली को भी इस बार ख़िताब की दौड़ से बाहर गिन रहे हैं.इटली के कोच मार्सेलो लिप्पी और कप्तान फेबियो कैनवारो विश्व कप के बाद अपना-अपना पद छोड़ देंगे. इसलिए दोनों चाहते हैं कि इटली पिछले विश्व कप जैसा कारनामा दोहराए और ख़िताब जीते.