'भारत के खिलाफ युद्ध था 26/11 हमला'
अभियोजन पक्ष ने कहा मुंबई हमला भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के मकसद से किया गया था, जिसने लोगों के अंदर भय पैदा किया और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया। अंतिम जिरह को दूसरे दिन सरकारी वकील उज्वल निकम ने हमले के दौरान पकड़े गए आतंकी अजमल आमिर कसाब के कबूलनामे का हवाला देते हुए कहा कि इस आतंकी हमले के पीछे सरकार को उखाड़ फेंकने और देश की अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के मनसूबे थे।
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निकम के मुताबिक कसाब ने यह भी स्वीकार किया है, कि पाकिस्तान में प्रशिक्षण के दौरान आतंकियों को बताया गया था कि इस हमले के पीछे का इरादा कश्मीर को आजाद कराना है। आतंकियों और उनके सरगनाओं के बीच बातचीत से भी यह साफ हो गया है कि हमले का मकसद कश्मीर को आजाद करना था। लिहाजा युद्ध छेड़ने का आरोप लगाया जा सकता है।
निकम ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यह भी भारतीय संसद पर हुए हमले के जैसा है। संसद पर हमले के मामले में अदालत ने आरोपियों पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोपों को उचित ठहराया था। वही स्थिति 26/11 में भी है। हमले का मकसद भय पैदा करना था और इसलिए यह धारा आरोपी कसाब और सह आरोपी सबाउद्दीन अहमद व फहीम अंसारी पर लागू होती है।
अभियोजन पक्ष की दलील सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश एमएल तहिलयानी ने कहा कि वर्ष 2001 में संसद पर हुए हमले में केवल भारतीय शामिल थे। उन्होंने कहा, "लेकिन यहां मुद्दा यह है कि क्या इस अदालत में किसी विदेशी नागरिक पर युद्ध छेड़ने के आरोपों का मामला चलाया जा सकता है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला भारतीयों के बारे में बात करता है।"