हड़ताल से जम्मू और कश्मीर में सरकारी कामकाज ठप्प (लीड-1)
श्रीनगर, 11 मार्च (आईएएनएस)। जम्मू और कश्मीर में करीब 450,000 सरकारी कर्मचारियों के लगातार तीसरे दिन गुरुवार को हड़ताल पर रहने के कारण सरकारी कामकाज ठप रहा। कर्मचारी बकाया भुगतान और सेवानिवृत्ति की आयु सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को सरकारी शिक्षक भी हड़ताल में शामिल हो गए।
उधर, राज्य के शिक्षा मंत्री पीरजादा मुहम्मद सईद ने हड़ताल पर गए शिक्षकों को चेतावनी दी कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने हड़ताल को गैरजिम्मेदाराना करार दिया।
सईद ने कहा, "हम शिक्षकों को बच्चों के करियर के साथ खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं देंगे। सरकार हड़ताल को गंभीरता से ले रही है। हड़ताल पर गए शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
हड़ताल की वजह से जम्मू में स्वास्थ्य और जरूरी सेवाएं भी प्रभावित हुईं।
कर्मचारियों की संयुक्त कार्य समिति (ईजेएसी) के एक नेता सुरजीत सिंह ने गुरुवार को जम्मू में कहा, "हम कोई असाधारण मांग नहीं कर रहे है अपना बकाया ही मांग रहे हैं जिसके लिए सरकार ने वादा किया था।"
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले 58 वर्षीय मुहम्मद जब्बार ने कहा, "आम आदमी के लिए यह एक क्रूर मजाक है। मैंने अपने बच्चे के स्थायी निवास प्रमाण पत्र के लिए जिला कार्यालय में अर्जी दी थी लेकिन हड़ताल की वजह से कुछ नहीं हो रहा है।"
छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किए बगैर राज्य सरकार का सालाना वेतन खर्च 4000 करोड़ रुपये है।
वित्त विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बकाए के भुगतान के लिए सरकार केंद्र से वित्तीय मदद चाहती है। इस मांग को केंद्र के समक्ष ले जाया गया है लेकिन इसमें कुछ वक्त लगेगा। बकाए का भुगतान रातो-रात नहीं किया जा सकता।
राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 25 फरवरी को विधानसभा में कहा था कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के वादे को हमने पूरा किया है। वित्तीय हालात में सुधार होने पर हम बकाए का भी भुगतान करेंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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