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झारखण्ड में किसी गठबंधन को बहुमत नहीं, सत्ता की कुंजी झामुमो के पास (राउंडअप)

By Staff
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कुल 81 सीटों वाली झारखण्ड विधानसभा के गठन के लिए पांच चरणों में संपन्न हुए चुनावों के बुधवार को घोषित सभी 81 सीटों के नतीजों के मुताबिक कांग्रेस और झारखण्ड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) गठबंधन ने सर्वाधिक 25 सीटों पर सफलता हासिल की है। कांग्रेस ने 14 सीटों पर सफलता अर्जित की है जबकि उसकी सहयोगी झाविमो को 11 सीटों पर सफलता मिली है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और झामुमो सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरे हैं। दोनों दलों को 18-18 सीटें मिली हैं।

भाजपा ने राज्य विधानसभा का चुनाव जनता जनता दल (युनाइटेड) के साथ मिलकर लड़ा था। जद (यू) को सिर्फ दो सीटों पर सफलता मिली है। इस गठबंधन को मात्र 20 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है।

झामुमो ने इस विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है। उसने 18 सीटों पर जीत हासिल की है। उसके इस प्रदर्शन ने प्रदेश की सत्ता की कुंजी झामुमो के हाथों में ला दी है। नतीजों से उत्साहित झामुमो ने साफ कर दिया है कि वह उसी गठबंधन का साथ देगा जो उनके नेता शिबू सोरेन को बतौर मुख्यमंत्री स्वीकार करेगा।

पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आईएएनएस से कहा, "हम उन्हीं लोगों का समर्थन करेंगे जो सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने में हमारा साथ देंगे।"

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को भी पांच सीटों पर सफलता मिली है और सरकार बनाने में उसकी भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है। पूर्व मंत्री सुदेश महतो के नेतृत्व वाली ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने भी इस चुनाव में अपनी ताकत बढ़ाई है। उसे भी पांच सीटों पर सफलता मिली है। आठ अन्य पार्टियों तथा निर्दलीय उम्मीदवारों को भी जीत मिली है।

केंद्रीय खाद्य व प्रसंस्करण मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुबोध कांत सहाय ने कहा कि अब समय आ गया है कि सभी धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट हो जाना चाहिए।

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "मौजूदा परिस्थिति में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।" जबकि कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कहा, "झामुमो और राजद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के घटक नहीं हैं लेकिन दोनों ही दलों ने केंद्र में संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दिया है।"

उधर, भाजपा ने स्वीकार किया कि चुनावी नतीजे अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे। पार्टी ने कहा है कि यह परिणाम प्रदेश की जनता और प्रदेश के विकास के हित में नहीं है।

चुनावी परिणामों के मद्देनजर बुधवार शाम नई दिल्ली में हुई पार्टी संसदीय बोर्ड के बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए महासचिव अनंत कुमार ने कहा, "परिणाम अपेक्षा के विपरित हैं। किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है और राज्य में फिर से त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति आ गई है। यह परिणाम न तो प्रदेश की जनता के हित में है और न ही राज्य के विकास के हित में।"

उन्होंने कहा, "संसदीय बोर्ड की बैठक में झारखण्ड की प्रभारी करूणा शुक्ला और सौदान सिंह ने चुनाव परिणामों पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व वहां की राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। पार्टी ने इस संबंध में निर्णय लेने का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी को दिया है। परिस्थिति के अनुसार वह निर्णय लेंगे।"

पार्टी की झारखण्ड इकाई के अध्यक्ष रघुबर दास ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "राजनीति में कोई अछूत नहीं होता। कांग्रेस छोड़ किसी भी दल से गठबंधन के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं।"

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा ने जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से जीत हासिल कर ली है जबकि विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम पाकुड़ विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। मधु कोड़ा सरकार में मंत्री रहे सात कद्दावर नेतांों को भी इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।

राज्य में पांच चरणों में संपन्न चुनाव के दौरान कुल 58 प्रतिशत मतदान हुआ था। पहले चरण का मतदान 25 नवंबर और आखिरी चरण का मतदान 18 दिसम्बर को हुआ था।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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