तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
BBC Hindi

ओलंपिक में महिला बॉक्सिंग

By Staff

अगले ओलंपिक खेलों में महिला मुक्केबाज़ भी अपने जौहर दिखा सकेंगी. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रमुखों ने गुरुवार को इसके पक्ष में मतदान करते हुए इस खेल में महिलाओं की हिस्सेदारी को हरी झंडी दिखा दी. वर्ष 2012 में लंदन में होने वाले ओलंपिक खेलों में महिला मुक्केबाज़ी प्रतियोगिता तीन श्रेणियों में होगी.

फ़्लाईवेट में 48 से 51 किलोग्राम वज़न वाली मुक्केबाज़ हिस्सा लेंगी, लाइटवेट में 56 से 60 किलोग्राम वज़न वाली और मिडलवेट में 69 से 75 किलोग्राम की मुक्केबाज़. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष ज़ाक रोग़े ने कहा है, “पिछले पांच सालों में महिला मुक्केबाज़ी बहुत आगे बढ़ी है और अब समय है कि उसे ओलंपिक खेलों में शामिल किया जाए".

ओलंपिक समिति संतुष्ट है कि अब दुनिया में महिला मुक्केबाज़ी लोकप्रियता और सुरक्षा के मानदंडों के स्तर तक पहुंच गई है. वर्ल्ड ऐमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष चिंग कुओवू इसके ज़बरदस्त समर्थक रहे हैं. उनका कहना था, “केवल पुरुषों पर ध्यान क्यों केंद्रित किया जाए, महिलाओं पर क्यों नहीं. 120 देशों में महिला मुक्केबाज़ पनप रही हैं और हम उनकी उपेक्षा करते रहें, यह असंभव है".

ब्रिटेन की ओलंपिक खेल मंत्री टैसा जोएल ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने कहा,“लंदन ओलंपिक 2012 के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण होगा जब पहली बार हरेक खेल प्रतियोगिता में महिलाएं भी हिस्सा ले रही होंगी".

उन्होंने कहा, “लंदन ओलंपिक में पहली बार मुक्केबाज़ हीरोइनें बनेंगी जिससे अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा मिलेगी". 2008 में बीजिंग में हुए ओलंपिक खेलों में महिला मुक्केबाज़ी के शामिल किए जाने की संभावना थी लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने यह कहकर उसे टाल दिया था कि इससे ओलंपिक कार्यक्रम बेहतर नहीं बनेगा.

डर था कि यह खेल पर्याप्त देशों में नहीं खेला जाता इसलिए इससे कुछेक देशों को ही लाभ होगा. लेकिन तब से महिला मुक्केबाज़ी में बहुत बदलाव आया है और अब 120 अंतरराष्ट्रीय संघों में महिला मुक्केबाज़ हैं.

महिला मुक्केबाज़ी का विरोध

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के इस क़दम के विरोध में भी स्वर उठ रहे हैं. उदाहरण के लिए ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन ने इसकी आलोचना की है. ये ब्रिटेन के 140000 डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों का प्रतिनिधित्व करती है.

बीऐमए के प्रवक्ता ने कहा कि मुक्केबाज़ी को आधुनिक ओलंपिक खेलों में कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए. प्रवक्ता के मुताबिक,“चाहे वो महिला हों या पुरुष.. लड़ाई के दौरान मुक्केबाज़ पर ऐसे घूंसे पड़ते हैं कि उनका ब्रेन हैमरेज हो सकता है और उनकी आंखों, कानों और नाक को गंभीर क्षति पहुंच सकती है.

हर मुक्केबाज़ को अपने करियर के दौरान सिर पर हज़ारों घूंसे खाने पड़ते हैं. हर घूंसे से खोपड़ी के भीतर रखा मस्तिष्क हिलता है. बार बार ऐसा होने से मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो सकता है. मुक्केबाज़ी दूसरे खेलों जैसी नहीं है. इसमें विपक्षी को शारीरिक नुकसान पहुंचाना लक्ष्य होता है".

ओलंपिक में 2016 के खेलों में गॉल्फ़ और रगबी सैवेन्स को शामिल करने का भी फ़ैसला लिया गया है. लेकिन इस पर अंतिम निर्णय आईओसी की कोपनहेगन में अक्टूबर में होने वाली बैठक में होगा. कराटे, सॉफ़्टबॉल, बेसबॉल, स्क्वॉश और रोलर ओलंपिक खेल में शामिल नहीं हो पाए.

BBC Hindi

Story first published: Tuesday, November 14, 2017, 12:23 [IST]
Other articles published on Nov 14, 2017
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X