आर्यभट्ट की कर्मस्‍थली से देखेंगे सूर्यग्रहण

By Staff
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Aryabhatta
पटना। बिहार के पटना जिले के मसौढ़ी अनुमंडल के तारेगना में 22 जुलाई को इस सदी का सबसे लंबा सूर्यग्रहण सबसे अधिक समय तक देखा जा सकेगा। माना जाता है कि तारेगना में ही गुप्तकाल के महान खगोलविद आर्यभट्ट की वेधशाला थी। दुनिया भर के खगोल वैज्ञानिक व शोधछात्र 22 जुलाई को यहां एकत्र होंगे।

तारेगना में प्राप्त साक्ष्यों एवं अध्ययन से पता चलता है कि डेढ़ से दो हजार वर्ष पूर्व आर्यभट्ट यहीं पर अपने शिष्यों के साथ तारों के विषय में अध्ययन करते थे। खगौल के सिंचाई शोध संस्थान के शोध अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त एवं तारेगना तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में शोध कर चुके सिद्घेश्वर नाथ पांडेय का कहना है कि तारेगना में पूर्व में 70 फुट की एक मीनार थी। इसी मीनार पर आर्यभट्ट की वेधशाला थी और यहीं बैठकर वह अपने शिष्यों के साथ मिलकर ग्रहों की चाल का अध्ययन किया करते थे। उनका मानना है कि यही कारण है कि कालांतर में इस जगह का नाम तारेगना पड़ा।

यहां गुप्‍तकाल की वस्‍तुएं मिलीं

उन्होंने बताया कि वर्ष 1930 के दशक में इस गांव में एक तांबे का कलश मिला था, जिसमें एक हजार सिक्के थे। यहां मिले कई वस्तुओं की जांच करवायी गई तब भी यह स्पष्ट होता है कि वे वस्तुओं गुप्तकाल की हैं। 68 वर्षीय पांडेय का कहना है कि एक पुस्तक 'आर्यभट्टियम' में इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं कि आर्यभट्ट का संबंध तारेगना से था।

उल्लेखनीय है कि आर्यभट्ट के संबंध में कहा जाता है कि उन्होंने वेद में कही गई बातों का खंडन करते हुए कहा था कि 'सूर्य स्थिर है और पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाती है।'

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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