करोड़ों की मूर्तियों का अनावरण रातों-रात
अधिकारियों ने यह माना है कि मायावती ने यह जल्दबाजी सिर्फ उस मुकदमे की वजह से की, जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 29 जून को होनी है। असल में दिल्ली के एक वकील रविकांत ने मायावती के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसमें उन पर जनता के पैसे का दुरुपयोग करने का अरोप लगाते हुए माया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
15 परियोजनाएं शुरू कीं
रविकांत का कहना है कि मायावती जनता के पैसे का दुरुपयोग स्मारक बनवाने और प्रतिमाएं लगवाने में कर रही हैं। याचिका में उन्होंने न्यायालय से गुहार लगाई थी कि मुख्यमंत्री मायावती को उनकी करोड़ों रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ न करने दिया जाए।
याचिका पर सुनवाई से पहले ही मायावती ने गुरुवार रात 15 परियोजनाओं का शुभारंभ कर दिया। ये परियोजनाएं लखनऊ के गोमतीनगर स्थित भीमराव अंबेडकर स्मारक स्थल और कांशीराम स्मारक स्थल से संबंधित हैं। मायावती ने अनावरण समारोह के दौरान अपने विरोधियों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, "मेरे विरोधी मेरी छवि खराब करने के लिए ऐसा कह रहे हैं कि दलित महापुरुषों और गुरुओं के सम्मान में स्मारकों का निर्माण कराकर मैं जनता के पैसों का दुरुपयोग कर रही हूं।"
ये मेरी नहीं स्व. कांशीराम की इच्छा: माया
मुख्यमंत्री ने साफ किया कि प्रदेश में विकास का पैसा इन परियोजनाओं में नहीं खर्च हो रहा है। अपनी प्रतिमाएं स्थापित कराए जाने पर मायावती ने कहा कि ऐसा मान्यवर कांशीराम की इच्छा के अनुरूप हो रहा है। अपने जीवनकाल में उन्होंने यह कहा था कि उनके साथ में उनके राजनीतिक उत्ताराधिकारी की भी प्रतिमा लगाई जाए।
गुरुवार को जिन परियोजनाओं का शुभारंभ किया गया उनमें भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल द्वार, भीमराव अंबेडकर विहार, भीमराव अंबेडकर स्मारक दृश्य स्थल, कांशीराम स्मारक स्थल, कांशीराम पार्क शामिल हैं। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी(बसप) प्रमुख मायावती की तीन प्रतिमाओं का भी अनावरण किया गया।