बांधों ने नर्मदा नदी का स्वरूप बिगाड़ा : दवे
अमरकंटक से भरूच तक बहने वाली 1312 किलोमीटर लंबी नर्मदा नदी पर चार बड़े बांध सरदार सरोवर, महेश्वर, ओंकारेश्वर और बरगी बने है। इन बांधों के कारण लगभग 446 किलोमीटर हिस्से में पानी ठहरा हुआ है। नर्मदा नदी की इस स्थिति का खुलासा नर्मदा समग्र के सचिव अनिल दवे ने पत्रकारों के बीच करते हुए कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि नर्मदा को बचाने के लिए जन चेतना जागृत हो।
उन्होंने बताया कि नर्मदा नदी पर आने वाले समय में 3300 बांध प्रस्तावित है। यह स्थिति नर्मदा नदी के लिए घातक है। वे इन बांधों के बनने का सीधे तौर पर विरोध करने से बचते है और कहते है कि आज जरूरी हो गया है कि बांधों के लाभ और हानि का आकलन किया जाए। साथ ही इस दिशा में भी पहल हो कि बहते हुए पानी के बांध बनाए जाए।
पिछले कुछ वषरे से नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए अभियान चला रहे दवे स्वीकारते है कि बड़े पैमाने पर नदी के किनारे की हरियाली खत्म होने से कटाव भी बढ़ा है। इतना ही नहीं इस नदी की 70 फीसदी रेत की चोरी भी होती है। वे इस स्थिति से निपटने के लिए नदी के दोनों किनारों पर हरियाली चुनरी की योजना बना रहे है। इसके तहत पर्यावरण प्रेमियों को भूखंड दिए जाएंगे जो उस क्षेत्र में वृक्षारोपण करेंगे। नर्मदा समग्र ने अपने अभियान के दौरान पाया है कि नदी में प्रदूषण भी बढ़ रहा है और कई क्षेत्रों के नाले तक नदी में मिल रहे हैं।
नर्मदा समग्र ने अगले वर्ष फरवरी में अंतर्राष्ट्रीय नदी महोत्सव 2010 आयोजित करने का निर्णय लिया है। नर्मदा व तवा नदी के संगम स्थल बान्द्राभान नर्मदापुरम में होने वाले इस महोत्सव में दुनिया भर के चिन्तक और विशेषज्ञ शामिल होंगे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।