और अर्जुन टैंक नहीं खरीदेगी भारतीय सेना
एक अधिकारी ने बताया कि अर्जुन टैंक मुश्किल से पांच या दस साल उपयोग किए जा सकते हैं, जबकि सेना को ऐसे टैंक की आवश्यकता है, जो 20 से 25 साल तक काम आ सके। उन्होंने कहा कि सेना ने समझौते के अनुसार केवल 124 टैंक खरीदने का निर्णय लिया है।
सेना ने सर्दियों में हुए परीक्षण में टैंक की गुणवत्ता में पाई गई खामियों के बारे में संसद को अवगत करा दिया था। संसद की रक्षा मामलों की स्थायी समिति की रिपोर्ट में सेना के एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि टैंकों का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। परीक्षण के दौरान चार टैंकों के इंजन खराब हो गए।
सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर और उनके पूर्ववर्ती जनरल जे.जे सिंह ने भी कई अवसरों पर टैंक की खराब गुणवत्ता की ओर संकेत किया था। पिछले नवंबर में जनरल कपूर ने कहा था कि आज हमें मध्यम दर्जे की तकनीक की आवश्यकता नहीं है। सेना को अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता वाले टैंक की जरूरत है।
अर्जुन टैंक का तकनीकी प्रारूप 1972 में तैयार किया गया था। लेकिन परियोजना में देरी के कारण यह 1995 में तैयार हो सका।
अर्जुन के बनकर तैयार होने में देरी तथा पाकिस्तान द्वारा यूक्रेन से टी-80 टैंक खरीदने के फैसले के कारण भारत ने रूस को 310 टी-90 टैंकों का आर्डर दिया। भारत में लाइसेंस के तहत 1000 टी-90 टैंकों का निमार्ण भी किया जाएगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।