'कामागाटामारू' त्रासदी के लिए कनाडा ने क्षमा मांगी
सन 1914 में कामागाटा मारू नामक जहाज पर सवार होकर 376 भारतीय कामगार कनाडा गए थे लेकिन वहां के नस्लीय आव्रजन कानूनों के कारण उन्हें वहां उतरने ही नहीं दिया गया। दो महीने तक समुद्र तट पर खड़ा रहने के बाद उसे वापस भारत लौटने पर मजबूर कर दिया गया। उनकी वापसी के दौरान कोलकाता में ब्रिटिश पुलिस द्वारा उनमें से कई की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।
शनिवार को सरे के निकट भारतीय-कनाडाई समुदाय के लोगों के समक्ष अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए कनाडा के बहुसंस्कृति विभाग के सचिव जेसन केन्नी ने कहा कि सरकार जल्द ही संसद में इससे संबंधित एक क्षमा प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी।
केन्नी ने यह भी कहा कि संघीय सरकार कामागाटा मारू का एक स्मारक बनाने के लिए कामागाटा मारू का एक स्मारक बनाने के लिए भारतीय समुदाय को कोष भी उपलब्ध कराएगी।
इससे पहले 2006 मेंकनाडाई प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने भी कामागाटा मारू को देश के इतिहास का एक दुखद क्षण करार दिया था।
हार्पर ने कहा था, "किसी भी अन्य देश की तरह हमारे देश में भी कमियां हैं। मैं कहना चाहता हूं कि कनाडा की सरकार उस दुखद घटना को स्वीकार करती है और जल्द ही भारतीय-कनाडाई समुदाय से उस घटना को मान्यता देने के तरीके के बारे में बातचीत करेगी।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।